ELSS vs NSC: जोखिम, कर लाभ, अंतर, कौन बेहतर है
इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम (ELSS) एक म्यूचुअल फंड स्कीम है, जो टैक्स बचाने के लाभ प्रदान करते हुए इक्विटी बाजारों में निवेश करती है। ELSS विविध है क्योंकि यह विभिन्न क्षेत्रों और बाजार पूंजीकरण में कंपनियों के शेयरों में निवेश करता है। अर्जित रिटर्न बाजारों में प्रदर्शन से सीधे जुड़े होते हैं। यह योजना निवेशकों के बीच बाजार में उपलब्ध सभी कर बचत निवेश विकल्पों में से सबसे अधिक रिटर्न उत्पन्न करने की क्षमता के लिए बहुत लोकप्रिय है। जैसा कि निवेश का बड़ा हिस्सा इक्विटी में किया जाता है, उन निवेशकों के लिए एलएसएस फंड की सलाह दी जाती है, जिनके निवेश की अवधि कम से कम 5 साल है।
आइए ELSS या टैक्स-सेविंग म्यूचुअल फंड की प्रमुख विशेषताओं पर एक नज़र डालें।
ELSS की विशेषताएं
1. दीर्घकालिक निवेश
ELSS की तीन साल की लॉक-इन अवधि है, जिसका अर्थ है कि निवेशकों को स्कीम में निवेश किए बिना बने रहना कम से कम तीन साल तक अनिवार्य है। तीन साल के बाद, यह निवेशकों पर निर्भर करता है कि वे स्कीम से बाहर निकलें या निवेशित रहें। हालांकि, ELSS योजनाओं में अच्छा रिटर्न कमाने के लिए यथासंभव लंबे समय तक निवेश किए जाने की सलाह दी जाती है।
2. कर लाभ
जब यह ELSS की बात आती है, तो व्यक्ति ELSS में निवेश पर आईटी अधिनियम, 1961 की धारा 80 सी के तहत 1.5 लाख रुपये तक की कर कटौती का लाभ उठा सकता है। एक वित्तीय वर्ष में जितना निवेश किया जा सकता है, उसके लिए कोई ऊपरी सीमा निर्धारित नहीं है।
चूंकि ELSS फंड में निवेश 1 वर्ष से अधिक समय के लिए होता है, इसलिए रिटर्न लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स (LTCG) टैक्स के अधीन होता है। यह एक वित्तीय वर्ष में 1 लाख रुपये से अधिक के रिटर्न पर लागू होता है और इस पर 10% कर लगता है।
3. जोखिम
ELSS फंड में आमतौर पर जोखिमों के उच्च स्तर (फंड की निवेश शैली के आधार पर) इक्विटी बाजारों में निवेश के कारण शामिल निवेश से जुड़े जोखिम पर नजर होते हैं। ELSS निवेशों में नेट एसेट वैल्यू (NAV) में अस्थिरता के जोखिम शामिल होते हैं, जो उनके इक्विटी मार्केट एक्सपोजर के कारण होता है। इसलिए, उच्च जोखिम सहिष्णुता वाले निवेशकों को ELSS फंड की सिफारिश की जाती है।
NSC क्या है?
NSC का मतलब नेशनल सेविंग सर्टिफिकेट है, जो निवेश के साथ-साथ रिटर्न पर सरकार की सॉवरेन गारंटी के साथ पोस्ट ऑफिस की बचत योजना है। बचत योजना को दीर्घकालिक वित्तीय लक्ष्यों को पूरा करने के लिए नागरिकों के बीच बचत और निवेश की आदत को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से शुरू किया गया था। सर्टिफिकेट पर ब्याज की दर सरकार द्वारा हर तिमाही संशोधन के अधीन है। वर्तमान में, यह योजना 6.8% की ब्याज दर प्रदान करती है जो कि सालाना चक्रवृद्धि है। NSC में निवेश करने के लिए आवश्यक न्यूनतम राशि 1000 रुपये है और इसकी कोई ऊपरी सीमा नहीं है। राष्ट्रीय बचत सर्टिफिकेट भी बाजारों में उपलब्ध लोकप्रिय कर-बचत निवेशों में से एक हैं और आमतौर पर जोखिम-मुक्त रिटर्न और निवेश की तलाश करने वाले निवेशकों द्वारा पसंद किए जाते हैं।
चलो राष्ट्रीय बचत सर्टिफिकेट की प्रमुख विशेषताओं पर एक नज़र डालते हैं।
NSC की विशेषताएं
1. निवेश अवधि और लॉक-इन अवधि:
NSC की परिपक्वता अवधि पांच वर्ष है। समय से पहले निकासी की अनुमति केवल कुछ परिस्थितियों में ही दी जाती है।
एक निवेशक NSC में निवेश पर आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 80 सी के तहत प्रति वर्ष 1.5 लाख रुपये तक की कर कटौती का दावा कर सकता है।
NSC में बहुत कम या लगभग नगण्य जोखिम शामिल हैं क्योंकि यह निवेश भारत सरकार द्वारा समर्थित है।
ELSS और NSC के बीच अंतर
ELSS और NSC के बीच विभिन्न अंतर हैं, जिनमें से कुछ नीचे हैं:
1. प्रकृति
इक्विटी लिंक्ड सेविंग्स स्कीम (ELSS) म्यूचुअल फंड स्कीम हैं जो निवेशकों को रिटर्न के लिए इक्विटी शेयरों में निवेश करती हैं और साथ ही उन्हें धारा 80 सी के तहत कर लाभ प्रदान करती हैं। दूसरी ओर, राष्ट्रीय बचत सर्टिफिकेट (NSC ) डाकघर द्वारा दी जाने वाली छोटी बचत योजनाएं हैं जो निवेश पर गारंटीकृत और जोखिम मुक्त रिटर्न प्रदान करती हैं।
2. लॉक-इन अवधि
ELSS में 3 साल का लॉक-इन टर्म होता है जो सभी टैक्स सेविंग निवेशों में सबसे कम होता है जबकि NSC में 5 साल का लॉक-इन टर्म होता है।
3. कर
ELSS में निवेश के मामले में, व्यक्ति सालाना 1.5 लाख रुपये तक की कर कटौती का लाभ उठा सकता है। 1 वर्ष से अधिक समय के लिए, एक वित्तीय वर्ष के भीतर 1 लाख रुपये से अधिक के रिटर्न पर 10% लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स (LTCG) टैक्स लगता है।
जब NSC की बात आती है, तो एक निवेशक प्रति वर्ष धारा 80 सी में 1.5 लाख रुपये तक की कर कटौती का दावा कर सकता है। हालांकि, निवेश पर अर्जित ब्याज निवेशक के आयकर स्लैब के अनुसार कर योग्य है।
4. संबंधित जोखिम
ELSS फंड में आमतौर पर इक्विटी बाजारों में निवेश के कारण उच्च स्तर के जोखिम शामिल होते हैं।
NSC , एक सरकार समर्थित योजना है, जिसमें जोखिम के बहुत कम स्तर शामिल हैं और वास्तव में इसे लगभग जोखिम-मुक्त माना जाता है। यह निवेश उन निवेशकों के लिए किया जाता है जिनके पास जोखिम कम सहनशीलता है।
5. रिटर्न्स
दीर्घकालिक निवेश के लिए ELSS फंड से अपेक्षित रिटर्न 12-15% है।
जुलाई 2020 तक NSC , 6.8% की ब्याज दर प्रदान करता है जो कि वार्षिक रूप से चक्रवृद्धि है और परिपक्वता पर भुगतान किया जाता है। ब्याज दरें सरकार द्वारा तिमाही संशोधनों के अधीन हैं।
प्रतिवर्ष धारा 80 सी के तहत 1.5 लाख रुपये तक की कटौती ।
ब्याज कर योग्य।
कौन सा बेहतर है, ELSS या NSC ?
ये दोनों निवेश लोकप्रिय कर बचत निवेश हैं। इन निवेशों की जोखिम-रिटर्न विशेषताएँ बहुत भिन्न हैं और इसलिए विभिन्न प्रकार के निवेशकों के लिए उपयुक्त हैं। उच्च जोखिम क्षमता वाले निवेशकों को अपनी कर बचत जरूरतों के लिए ELSS फंडों में निवेश पर विचार करना चाहिए क्योंकि वे उच्च रिटर्न उत्पन्न करने की क्षमता रखते हैं। जबकि, ऐसे निवेशक जो जोखिम से ग्रस्त हैं, NSC में निवेश करना बेहतर होगा जो उनके निवेश पर स्थिर और गारंटीड रिटर्न प्रदान करेगा।
खाद्य प्रसंस्करण, कृषि और डेयरी जैसे सेक्टर में निवेश कर सकती हैं फ्रांस की कंपनियां
शेयर बाजार 23 घंटे पहले (19 दिसम्बर 2022 ,22:45)
© Reuters. खाद्य प्रसंस्करण, कृषि और डेयरी जैसे सेक्टर में निवेश कर सकती हैं फ्रांस की कंपनियां
लखनऊ, 19 दिसम्बर (आईएएनएस)। विदेशी निवेशकों को उत्तर प्रदेश में व्यापार करने और व्यापार का विस्तार करने के लिए आमंत्रित करने कई देशों की यात्रा पर गई टीम योगी का पड़ाव सोमवार को फ्रांस में था। उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य और आईटी मंत्री योगेंद्र उपाध्याय के नेतृत्व में यूपी के प्रतिनिधिमंडल ने फ्रांस की राजधानी पेरिस में फ्रांस के बड़े औद्योगिक घरानों व उनके प्रतिनिधियों से मुलाकात की और उन्हें राज्य में निवेश के लिए आमंत्रित किया। फ्रांस की कंपनियों ने भी उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री द्वारा दिए गए संदेश पर खुशी जताते हुए प्रदेश में निवेश के जरिए व्यापारिक संबंधों को मजबूती देने पर सहमित जताई। फ्रांस की कंपनियां उत्तर प्रदेश में खाद्य प्रसंस्करण, कृषि, डेयरी, नवीनीकरण ऊर्जा, रक्षा और जल यातायात के क्षेत्र में निवेश के लिए इच्छुक नजर आईं।
निवेश के लिए उत्साहित फ्रांसीसी कंपनियां
फ्रांस की राजधानी पेरिस में हुए रोड शो के अवसर पर डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य एवं आईटी मंत्री योगेंद्र उपाध्याय समेत उत्तर प्रदेश सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों की टीम ने फ्रांस की कंपनियों के प्रतिनिधियों से मुलाकात की निवेश से जुड़े जोखिम पर नजर और उन्होंने ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के लिए आमंत्रित किया। बिजनेस फ्रांस के एशिया व पैसिफिक एरिया के कोऑर्डिनेटर जीन फ्रैंकोइस एंब्रोसियो ने डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के साथ मुलाकात के दौरान खाद्य प्रसंस्करण, कृषि और डेयरी के क्षेत्र में साझादारी के जरिए इंडो फ्रेंच द्विपक्षीय संबंधों को और मजबूत बनाने का आशय जाहिर किया। उत्तर प्रदेश के प्रतिनिधिमंडल ने इंटरनेशनल कमीशन ऑफ कंफेडरेशन ऑफ एसएमई (सीपीएमई) के प्रमुख एटिने पोइरोट बोर्डिन से भी मुलाकात की और रीन्यूएबल एनर्जी, डिफेंस और वॉटर ट्रांसपोर्टेशन जैसे क्षेत्रों में एमएसएमई के अंतर्गत उद्योग लगाने के लिए आंमंत्रित किया। एयर लिक्विड ग्रुप के डायरेक्टर मैक्सिम लैंबर्ट एवं रिस्क मैनेजमेंट वाइस प्रेसीडेंट बरट्रांड मोनोई ने प्रदेश में ग्रीन हाइड्रोजन के निवेश से जुड़े जोखिम पर नजर क्षेत्र में निवेश की इच्छा जाहिर की और उत्तर प्रदेश में अपने बिजनेस के विस्तार का भी इरादा जताया। थॉमस कंप्यूटिंग के सीईओ स्टीफन फ्रांसिस और वाइस प्रेसीडेंट इंटरनेशनल सेल्स पीयरे क्रासोनवस्की ने आईटी से संबंधित लैपटॉप और टैबलेट असेंबलिंग व वितरण के क्षेत्र में निवेश पर उत्सुकता जताई। ईडीएफ रिन्यूएबल्स एंड टोटल एरेन के कंट्री हेड (भारत) से मुलाकात के दौरान उन्हें जीआईएस 2023 म सम्मिलित होने के साथ भारत मे रिन्यूएबल एनर्जी सेक्टर में निवेश के लिए आमंत्रित किया गया। वहीं प्रतिनिधिमंडल ने पार्टेक्स एनवी से डॉ. गुंजन भारद्वाज से मुलाकात की और ग्रुप को यूपीजीआईएस 2023 में आमंत्रित किया। पार्टेक्स एनवी ने हेल्थकेयर सिस्टम में एआई की शक्ति का उपयोग करने के लिए वाराणसी में अमृत- एक रोगी डेटा एक्सचेंज स्थापित करने के लिए 1000 करोड़ के निवेश के इंटेंट पर हस्ताक्षर किए
उधर, जलशक्ति मंत्री स्वतंत्रदेव सिंह के नेतृत्व में सिंगापुर पहुंचे प्रतिनिधिमंडल का रोड शो भी बेहद सफल रहा। रोड शो के दौरान उत्तर प्रदेश के प्रतिनिधिमंडल से सिंगापुर की बिजनेस कम्युनिटी ने निवेश के अवसरों और सरकार द्वारा मिल रहे इंसेटिव्स पर चर्चा की। प्रतिनिधिमंडल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्निकल एजुकेशन (आईटीई) गया। यहां विभिन्न क्षेत्रों में जिनमें सिंगापुर और उत्तर प्रदेश के बीच भागीदारी गतिविधियां हो सकती हैं, उन पर चर्चा की गई।
टीम योगी के यह विदेशी रोड शो 9 दिसंबर से शुरू हुए थे। 9 दिसंबर को विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना और पशुपालन मंत्री धरमपाल सिंह के नेतृत्व में वरिष्ठ अधिकारियों का प्रतिनिधिमंडल कनाडा में रोड शो व वन टू वन बिजनेस मीटिंग के लिए पहुंचा था। यहां प्रतिनिधिमंडल को हजारों करोड़ के निवेश प्रस्ताव मिले और कई एमओयू भी साइन हुए। इसी तारीख को औद्योगिक विकास मंत्री नंद गोपाल गुप्ता नंदी और पीडब्ल्यूडी मंत्री जितिन प्रसाद भी जर्मनी पहुंचे थे, जबकि डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक और मत्स्य पालन मंत्री संजय निषाद ने मेक्सिको में रोड शो किया था। वहीं, वित्त मंत्री सुरेश खन्ना और पूर्व मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह के नेतृत्व वाले प्रतिनिधिमंडल ने यूएसए व यूके का दौरा शुरू किया था। 12 दिसंबर को अबुधाबी, कनाडा, दक्षिण कोरिया, बेल्जियम और ब्राजील में रोड शो का आयोजन किया गया जो बेहद सफल रहा। 13 को यूएई, ऑस्ट्रेलिया, 14 को कनाडा, जापान, स्वीडन, अर्जेंटीना में तो 15 को यूएसए व यूके, 16 को यूएसए नीदरलैंड्स, सिंगापुर में रोड शो का आयोजन हुआ। 19 को फ्रांस के साथ विदेशी दौरों का यह आयोजन समाप्त होना है।
म्युचुअल फंड पर बढ़ रहा निवेशकों का भरोसा, अब जोखिम भी कबूल है!
म्युचुअल फंड में निवेश लगातार बढ़ता जा रहा है और हर दिन नए निवेशक इससे जुड़ते जा रहे हैं
‘म्युचुअल फंड इन्वेस्टमेंट्स आर सब्जेक्ट टू मार्केट रिस्क्स‘
म्युचुअल फंड के हर विज्ञापन के अंत में आपको ये बात देखने-सुनने या पढ़ने को जरूर मिलेगी, लेकिन ऐसा लगता है कि देश के छोटे निवेशक अब ये रिस्क उठाने के लिए तैयार हैं. तभी तो म्युचुअल फंड में निवेश लगातार बढ़ता जा रहा है और हर दिन नए निवेशक इससे जुड़ते जा रहे हैं.
एसोसिएशन ऑफ म्युचुअल फंड्स इन इंडिया यानी एम्फी के ताजा आंकड़ों के मुताबिक इस साल अप्रैल से जुलाई के सिर्फ 4 महीनों में 29 लाख से ज्यादा नए इक्विटी फंड फोलियो जुड़े हैं.
फोलियो हर इंडिविजुअल के इन्वेस्टर अकाउंट्स को मिलने वाली संख्या होती है, हालांकि एक इन्वेस्टर एक से ज्यादा म्युचुअल फंड फोलियो भी रख सकता है. एम्फी के मुताबिक मार्च के अंत तक देश में 4.08 करोड़ फोलियो थे, जो निवेश से जुड़े जोखिम पर नजर जुलाई अंत तक बढ़कर 4.37 करोड़ से ज्यादा हो चुके हैं. ये बढ़त इसलिए मायने रखती है, क्योंकि पिछले पूरे साल में निवेश से जुड़े जोखिम पर नजर 48 लाख फोलियो जुड़े थे, जबकि 2015-16 में 43 लाख और 2014-15 में 25 लाख.
इसका मतलब ये भी है कि कारोबारी साल 2014-15 की शुरुआत से अब तक करीब डेढ़ करोड़ नए फोलियो म्युचुअल फंड इंडस्ट्री के खाते में जुड़े हैं. इसकी कई वजहें हैं, जिनमें सबसे अहम है पिछले 3 साल में इक्विटी म्युचुअल फंड निवेशकों को मिला शानदार रिटर्न. इस रिटर्न ने छोटे निवेशकों को इक्विटी मार्केट की तरफ खींचा है.
अगर आप पिछले तीन साल में इक्विटी म्युचुअल फंड स्कीमों के रिटर्न पर नजर डालें, तो न्यूनतम रिटर्न मिला है 10.83%, जबकि अधिकतम रिटर्न है 30%. वहीं टॉप 5 इक्विटी फंड के रिटर्न देखें, तो साफ होगा कि इनमें काफी कम अंतर रहा है.
इतने शानदार रिटर्न की उम्मीद आप किसी भी दूसरे एसेट क्लास में नहीं कर सकते. एफडी में रिटर्न सिंगल डिजिट में आ चुका है, तो गोल्ड और प्रॉपर्टी में तो रिटर्न निगेटिव भी हो गए हैं. और यही है दूसरी वजह कि निवेशकों का रुझान इक्विटी म्युचुअल फंड की तरफ बढ़ा है. तीसरी वजह है म्युचुअल फंड में निवेश करने में आसानी, और ये आसानी आई है सिस्टैमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान यानी एसआईपी से. इस वक्त म्युचुअल फंड इंडस्ट्री के पास 1.52 करोड़ एसआईपी अकाउंट हैं. एम्फी के मुताबिक एसआईपी अकाउंट में औसत मासिक निवेश 3,250 रुपए हो चुका है, और कुल मासिक निवेश पांच हजार करोड़ का आंकड़ा छूने वाला है.
म्युचुअल फंड में लगातार बढ़ते निवेश ने देश की म्युचुअल फंड इंडस्ट्री के एसेट अंडर मैनेजमेंट यानी एयूएम को 20 लाख करोड़ रुपए के पार पहुंचा दिया है. मई 2014 में ये 10 लाख करोड़ था. यानी तीन साल की अवधि में ही म्युचुअल फंड इंडस्ट्री के एसेट दोगुने हो गए हैं.
खास बात ये है कि सिर्फ इक्विटी स्कीमों का एयूएम जुलाई अंत तक 6.29 लाख करोड़ पहुंच चुका है. इन्वेस्टमेंट इनफॉर्मेशन और क्रेडिट रेटिंग एजेंसी आईसीआरए की रिपोर्ट के मुताबिक इसमें अच्छा-खासा योगदान देश के छोटे (बी15) शहरों का भी है.
बी15 वो शहर हैं, जो देश के सबसे बड़े पंद्रह शहरों के बाद आते हैं और इनका एयूएम में योगदान करीब 18 फीसदी यानी 3.60 लाख करोड़ रुपये का हो चुका है. छोटे शहरों के निवेशकों को लुभाने में एम्फी के प्रोमोशनल विज्ञापनों और डिस्ट्रीब्यूटरों को मिल रहे स्पेशल इंसेंटिव्स की भी अहम भूमिका रही है.
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