एचआईवी/एड्स की दवाएं कैसे काम करती हैं?

SIP: ये चार तरीके अपनाएंगे ताे एसआईपी से हाेगी खूब कमाई

By: एबीपी न्यूज़ | Updated at : 07 Feb 2021 07:41 PM (IST)

नई दिल्ली: सिस्‍टेमैटिक इंवेस्‍टमेंट प्‍लान यानी एसआईपी अपने लक्ष्‍यों के लिए निवेश का सबसे अच्‍छा तरीका है. एसआईपी नियमित रूप से निवेश करने में मदद करता है. लंबे समय तक निवेश करते रहने से खरीद की औसत लागत प्राप्‍त होती है. इसके जरिए धीरे-धीरे म्‍यूचुअल फंड निवेशकों को अलग-अलग शेयरों में पैसा लगाने का मौका मिलता है. इससे वे डायवर्सिफाइड पोर्टफोलियो बना पाते हैं. यहां हम आपको कुछ तरीकों के बारे में बता रहे हैं जिनकी मदद से आप एसआईपी के जरिए ज्‍यादा से ज्‍यादा फायदा उठा सकते हैं.

लक्ष्‍यों को एसआईपी से जोड़ें- कोई भी निवेश किसी मकसद से होना चाहिए. यह रिटायरमेंट, बच्‍चे की शादी, उनकी पढ़ाई या विदेश में छुट्टी के लिए बचत करना हो सकता है. फाइनेंशियल प्‍लानर कहते हैं कि एसआईपी को किसी खास लक्ष्‍य के साथ जोड़ना अहम है. इससे यह पता लगाने में मदद मिलती है कि किसी लक्ष्‍य को पूरा करने में आपका निवेश किस हद तक बढ़ा है. यही नहीं, आपको यह भी पता चलता है कि लक्ष्‍य तक पहुंचने के लिए हर महीने कितनी बचत करनी है. अगर आपको दो साल में घर के डाउनपेमेंट के लिए 10 लाख रुपये की जरूरत है तो हर महीने लंबे समय में औसत लागत 15000 रुपये से 20,000 रुपये के एसआईपी से भी बात लंबे समय में औसत लागत नहीं बनेगी.

लंबे समय में औसत लागत

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कम ऊर्जा उत्पादन, महंगी निवेश इकाई लागत और लंबे समय तक मूल्यह्रास समय अक्षय ऊर्जा के कुछ नुकसान हैं।

एचआईवी निदान के बाद जीवन

Life after HIV diagnosis | Narayana Health

जब आप एचआईवी+ को जान लेते हैं तो जीवन पहले के जैसा नहीं हो सकता है। आप जीवन में कई कठिन अनुभवों से गुजर सकते हैं – डरने, उदास या क्रोधित होने की भावना आपके दिमाग पर हावी हो सकती है। बस याद रखें, यह ठीक है और इस तरह के जीवन को बदलने वाली स्थिति के साथ मुकाबला करने का एक पूरी तरह से प्राकृतिक हिस्सा है। सही सहयोग और उपचार के साथ एचआईवी के बाद भी आप एक लंबा, सुखी और पूरा जीवन जी सकते हैं। प्रौद्योगिकी में उन्नति ने एचआईवी+ लोगों के लिए औसत व्यक्ति के रूप में लंबे समय तक जीवित रहना संभव बना दिया है। एचआईवी के बारे में बहुत सारी गलतफहमियों के कारण, निदान और उपचार का तरीका एक प्रमुख कारक है कि कोई कैसे आगे बढ़ता है।

आर्थ‍िक सुस्ती ने अब असम के चाय उद्योग का स्वाद बिगाड़ा

असम के चाय उद्योग में संकट

  • कोलकाता ,
  • 28 अगस्त 2019,
  • (अपडेटेड 28 अगस्त 2019, 12:37 PM IST)

ऑटोमोबिल, रियल लंबे समय में औसत लागत एस्टेट, एविएशन, टेक्सटाइल के बाद अब देश का चाय उद्योग भी भारी मुश्किल से गुजर रहा है. 170 लंबे समय में औसत लागत साल पुराने असम का लंबे समय में औसत लागत चाय उद्योग सुस्ती की चपेट में आ गया है. उत्पादन लागत बढ़ने और चाय की कीमतों में ठहराव से इस सेक्टर के लंबे समय तक फायदे में रहने पर सवाल खड़े होने लगे हैं. फिलहाल इस इंडस्ट्री के लिए कोई राहत की किरण नहीं दिख रही.

असम के चाय बागान मालिक तनाव से गुजर रहे हैं और इसके लिए कई वजहें हैं. चाय की कीमतें ठहरी हुई हैं, मजदूरी और अन्य लागत बढ़ती जा रही है, मांग और आपूर्ति में भारी अंतर है, ढुलाई की लागत ऊंची है, नीलामी में सही कीमत न मिलने की चुनौती है और जलवायु परिवर्तन से भी समस्या खड़ी हो रही है.

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