इसे करने के लिए पेट के बल सीधे लेट जाएं।
हथेलियों को कंधों के नीचे फैलाएं।
पैरों को लगभग 2 फीट अलग रखें।
पैर की उंगलियां जमीन पर होनी चाहिए।
अपने उलटा सिर और कंधे क्या है? सिर को ऊपर उठाते हुए साँस छोड़ें, अपने दाहिने कंधे से मुड़कर अपनी बाईं एड़ी को देखें।
लगभग 10 सेकंड के लिए आसन को पकड़ें, आगे झुकें और धड़ को नीचे करते हुए साँस छोड़ें।
दूसरी तरफ दोहराएं।

Man ko shant karta hai headstand

कन्धा फड़कना- कार्य में प्रगति की ओर इशारा

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पोराणिक शास्त्र के अनुसार आपके जीवन में होने वाली घटना का एहसास आपका शरीर आपको पहले से ही करा देता है बस उसे समझना होता है की वो हमे क्या इशारा कर रहा है, आपके कंधे की फड़फड़ाहट प्रगति की और इशारा करती है।

दायां(सीधा) कंधा – दाहिना कंधा फड़कने का मतलब आपको जल्द ही आपके अधिकार की प्राप्ति होने वाली है ओर साथ ही आपका साहस में भी बढ़ोतरी होगी।

बायां(उल्टा) कंधा – बायें कंधे के फड़कने से यह समझना चाहिए कि आपकी जल्द ही किसी मनोकामना की पूर्ति होने वाली है।

दोनों कंधे – अगर आपके दोनों कंधे फड़के तो किसी से झगड़े होने की सम्भावना होती है।

क्या शरीर में जहां-तहां होता रहता है दर्द ? कहीं स्पोंडिलोसिस तो नहीं !

Written by akhilesh dwivedi | Published : August 14, 2018 3:50 PM IST

लाइफ स्टाइल की वजह से कुछ बीमारियां हो जाती है जो बहुत परेशान करने वाली होती हैं। स्पोंडिलोसिस की परेशानी भी कुछ ऐसी ही बीमारी है। स्पोंडिलोसिस का मुख्य कारण होता है रीढ़ की हड्डी में सूजन की वजह से शरीर के कई अंगों में दर्द होना। ज्यादातर गर्दन के दाएं-बाएं और ऊपर-नीचे करने में दर्द होता है। स्पोंडिलोसिस की परेशानी में रीढ़ की हड्डी में अचानक बढ़ोत्तरी या उसके कार्ड्स में गैप की वजह से होती है। शरीर में कैल्शियम की कमी की वजह से बी स्पोंडिलोसिस बीमारी होती है।

उम्र के हिसाब से देखा जाय तो यह बीमारी 40 की उम्र के बाद ज्यादा होती है। ऐसा नहीं है कि यह युवाओं में नहीं होती है। आजकल यह बीमारी युवाओं में भी काफी देखने को मिलती है। एक्सपर्ट्स की माने तो इसका कारण लगातर गलत तरीके से बैठना और खड़े रहना होता है। गलत तरीके से लगातार एक ही स्थिति में रहने की वजर से मांसपेशियों में दबाव पड़ता है और उसके साइड-इफेक्ट की वजह से यह बीमारी होती है। दूसरा जो सबसे बड़ा कारण होता है स्पोंडिलोसिस का वह कैल्शियम की कमी की वजह से होता है।

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शरीर के विभिन्न भागों को प्रभावित करने के आधार पर स्पोंडिलोसिस तीन प्रकार का होता है।

सर्वाइकल स्पोंडिलोसिस

जब गर्दन में दर्द होता है उसे सर्वाइकल स्पोंडिलोसिस कहा जाता है। इसमें सामन्यतया गर्दन के निचने हिस्से, कंधों और कंधों के जोड़ में दर्द होता है। सर्वाइकल स्पोंडिलोसिस में गर्दन घुमाने में दर्द होता है ओर हाथों को ऊपर-नीचे करने में परेशानी होती है।

लम्बर स्पोंडिलोसिस

जब कमर के निचने हिस्से में दर्द रहता है तो इसे स्पाइन या लम्बर स्पोंडिलोसिस कहते हैं। कभी-कभी यह सुबह के समय इतना असहनीय होता है कि इंसान उठने से भी डरता है।

एंकायलूजिंग स्पोंडिलोसिस

एंकायलूजिंग स्पोंडिलोसिस में सामान्यतया जोडों में तेज दर्द होता है। वैसे देखा जाय तो यह पूरे शरीर को प्रभावित करता है। रीढ़ की हड्डी, कंधों और कूल्हों के जोड़ में दर्द होता है। एंकायलूजिंग स्पोंडिलोसिस में शरीर के सभी हड्डी के जोड़ प्रभावित होते हैं।

क्या मर्द को कभी दर्द नहीं होता?

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एक कंधे पर बोझ बहुत दिखता है। फीका फीका सा चेहरा पर आंखों में तेज बहुत दिखता है|
कंधा मजबूत और दिल नाजुक सा लिए फिरता है| सबकी उम्मीदों पर यह खरा उतरता है|
कभी मां का लाडला तो कभी जोरू का गुलाम कहलाता है| यह मर्द बेवजह चक्की में पीस आ जाता है|

सुबह शाम का कभी होश नहीं रहता है दिल चाहे कितना भी बेचैन हो इनकी आंखों में कोई देख नहीं सकता है| क्या है इन्हें यह किसी से कहते ही नहीं जुवा पर कड़वाहट जितनी ज्यादा होती ह,दिल का दर्द उतना ही गहरा होता है|

इन्हें भी पसंद है, ढलती शाम के साथ ढल जाना किसी की गोद में सिर रख कर सो जाना|

कोई प्यार से गले इन्हें भी लगा ले आज तुम ऑफिस मत जाओ यह कहकर अपने पास बैठा ले|

ये है शीर्षासन करने का सही तरीका!

शीर्षासन करने के लिए आपको इन तरीकों को बिना किसी जल्दबाजी के फॉलो करना होगा:

  • वज्र मुद्रा में बैठें।
  • अपनी कोहनी को सीधी लाइन में अपने योगा मैट पर रखें।
  • अपने फोरआर्म्स के साथ एक त्रिकोण आकार बनाने के लिए अपने हाथों को एक साथ लाएं।
  • हथेलियों और अंगूठों को खोलते हुए अपनी अंगुलियों को आपस में रखें।
  • छोटी उंगलियों को एक साथ रखें ताकि आपके हाथों के नीचे का आधार अधिक स्थिर हो।
  • अपने शीर्ष को अपने हाथों के अंदर चटाई पर रखें।
  • कूल्हों को उठाएं और अपने पैरों को सीधा करें।
  • अपने पैरों को अपने सिर की ओर ले जाएं।
  • कूल्हों को अपने कंधों उलटा सिर और कंधे क्या है? के ऊपर लाएं।
  • धीरे से अपने घुटनों को अपनी छाती की ओर लाएं।
  • इस पोजीशन में 5 सेकेंड तक रहें।
  • धीरे-धीरे अपने पैरों को सीधा करें।

इन लोगों को शीर्षासन करने से बचना चाहिए उलटा सिर और कंधे क्या है?

अगर आप इन स्वास्थ्य स्थितियों से गुजर रहें हैं तो आप शीर्षासन न करें।

  • गर्दन, कंधे, या पीठ में दर्द।
  • ऑस्टियोपोरोसिस।
  • दिल से संबंधित गंभीर स्थिति।
  • बहुत अधिक या कम रक्तचाप।
  • ग्लूकोमा (glaucoma) सहित आंखों की परेशानी।

Neck pain mein headstand naa kare

गर्दन में दर्द है तो शीर्षासन करने से बचें। चित्र: शटरस्टॉक

गर्भवती महिलाओं को भी शीर्षासन करने से बचना चाहिए, जब तक कि वे किसी योग शिक्षक की देखरेख में अभ्यास नहीं कर रही हों।

यदि आप मासिक धर्म का अनुभव कर रहें हैं तो आपको शीर्षासन और अन्य उलटे पोज (inversion yoga poses) करने से बचना चाहिए। मासिक धर्म के दौरान उलटा होने की सलाह नहीं दी जाती है, क्योंकि यह शरीर में नीचे की ओर प्रवाह को कम करता है। यह आपके मासिक धर्म के प्राकृतिक प्रवाह को बाधित कर सकता है।

सिर्फ 10 मिनट करें बिस्तर पर उल्‍टा लेटकर ये योग, पेट की चर्बी होगी कम

सिर्फ 10 मिनट करें बिस्तर पर उल्‍टा लेटकर ये योग, पेट की चर्बी होगी कम

लाइफस्टाइल न्यूज डेस्क।। महिलाएं घर और बाहर की जिम्मेदारियों में इस कदर शामिल होती हैं कि खुद पर ध्यान ही नहीं देतीं। ऐसे में बढ़ती उम्र के साथ हार्मोनल बदलाव के कारण वजन बढ़ने लगता है, खासकर पेट के आसपास चर्बी बढ़ने लगती है। लेकिन महिलाएं समय की कमी के कारण व्यायाम और योग से परहेज करती उलटा सिर और कंधे क्या है? हैं।

आज हम ऐसी महिलाओं के लिए कुछ योगासन लेकर आए हैं, जिनके जरिए वे सुबह बिस्तर पर पेट के बल लेटकर खुद को फिट और बेली फैट कम कर सकती हैं। इन योग आसनों की सबसे अच्छी बात यह है कि आपको इन्हें केवल सुबह 10 मिनट तक करना है और इन्हें करना बहुत आसान है। इसके साथ ही योग गुरु, आध्यात्मिक गुरु और लाइफस्टाइल कोच, ग्रैंड मास्टर अक्षरजी हमें इन योगों के बारे में बता रहे हैं।

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