3 वर्षों में '40% CAGR' से अधिक लाभ देने वाले 3 म्युचुअल फंड!
म्युचुअल फंड में निवेश इक्विटी बाजारों और/या अन्य परिसंपत्ति वर्गों में निवेश करने का एक अप्रत्यक्ष तरीका है। एक म्युचुअल फंड केवल धन का एक पूल है, जो निवेशकों से एकत्र किया जाता है जिसे विभिन्न परिसंपत्ति वर्गों में निवेश किया जाता है और एक समर्पित फंड मैनेजर द्वारा प्रबंधित किया जाता है। हालांकि, सभी म्यूचुअल फंड अपने बेंचमार्क सूचकांकों को मात देने में सक्षम नहीं होते हैं, इसलिए अपनी मेहनत की कमाई लगाने से पहले उनके पिछले प्रदर्शन को आंकना अनिवार्य हो जाता है।
हालांकि पिछले प्रदर्शन का मतलब भविष्य में प्रदर्शन के समान स्तर का होना जरूरी नहीं है, लेकिन यह जानने के लिए इसे कम महत्वपूर्ण नहीं बनाता है। इसी क्रम में, यहां 3 म्यूचुअल फंडों की सूची दी गई है, जिन्होंने पिछले तीन वर्षों में 40% से अधिक (CAGR) का आकर्षक रिटर्न दिया है।
क्वांट स्मॉल कैप फंड
क्वांट मनी मैनेजर्स लिमिटेड द्वारा प्रबंधित क्वांट स्मॉल कैप फंड, एक स्मॉल कैप फंड है जो पूर्ण बाजार पूंजीकरण के मामले में 251वें स्थान से आगे की कंपनियों के शेयरों में निवेश करता है, जिससे यह उच्च ड्रॉडाउन के साथ एक जोखिम भरा फंड बन जाता है। निर्माण और इंजीनियरिंग कंपनियों में फंड का वेटेज सबसे अधिक (12.72%) है, जो सितंबर 2022 में 19.41% से भी अधिक था।
फंड का 3 साल का सीएजीआर बेजोड़ 57.28% है, जो महामारी के बाद स्मॉल-कैप स्पेस में हाल के मल्टीबैगर रिटर्न के लिए धन्यवाद है। इसका एयूएम 2,355 करोड़ रुपये है और इसका एक्सपेंस रेशियो 0.62% है। इस फंड के लिए बेंचमार्क इंडेक्स निफ्टी स्मॉलकैप 250 - टीआरआई है
क्वांट इंफ्रास्ट्रक्चर फंड
क्वांट मनी मैनेजर्स का एक और, क्वांट इंफ्रास्ट्रक्चर फंड एक विषयगत फंड है जो बुनियादी ढांचा क्षेत्र पर ध्यान केंद्रित करता है, जिसमें 778 करोड़ रुपये का एक छोटा सा एयूएम है। पोर्टफोलियो में सबसे अधिक भारित कंपनियों में शीर्ष तीन में अंबुजा सीमेंट्स (NS: ABUJ ) (9.28%), Reliance Industries (NS: RELI ) (8.87%) और Adani Ports शामिल हैं। और विशेष आर्थिक क्षेत्र लिमिटेड (8.68%) (NS: APSE )।
पोर्टफोलियो में सबसे अधिक एक्सपोजर वाला क्षेत्र सार्वजनिक बैंक है, जो एक कारण है कि फंड पिछले 6 महीनों में अपने रिटर्न को बढ़ावा देने में सक्षम था। पिछले तीन साल का सीएजीआर आकर्षक 44.66% है, और इसमें 0.64% का व्यय अनुपात है। यह एक ग्रोथ फंड है और फंड के लिए बेंचमार्क इंडेक्स निफ्टी इंफ्रास्ट्रक्चर - टीआरआई है
आईसीआईसीआई (NS: ICBK ) प्रू कमोडिटीज फंड
आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल (एलओएन: पीआरयू ) एसेट मैनेजमेंट कंपनी से आईसीआईसीआई प्रू कमोडिटीज फंड भी एक थीमेटिक फंड है और निवेश कमोडिटी आधारित व्यवसायों पर केंद्रित है। नवंबर 2022 तक, फंड ने सबसे अधिक वेटेज (31.12%) में आयरन एंड स्टील शेयरों को रखा, जबकि निर्माण और इंजीनियरिंग शेयरों ने 30.07% वेटेज के साथ दूसरा स्थान हासिल किया।
व्यक्तिगत शेयरों की बात करें तो JSW Steel (NS: JSTL ), UltraTech Cement (NS: ULTC ), और अंबुजा सीमेंट्स तीन शीर्ष होल्डिंग्स हैं। फंड ने 44.1% का 3 साल का सीएजीआर दिया है और 738 करोड़ का एक छोटा एयूएम है। व्यय अनुपात 1.07% पर थोड़ा अधिक है, लेकिन यह उस तरह के रिटर्न को सही ठहराता है जो फंड दे रहा है। निफ्टी कमोडिटीज - टीआरआई फंड का बेंचमार्क इंडेक्स है।
PS - TRI का मतलब टोटल रिटर्न्स इंडेक्स है, जिसमें रिटर्न कैलकुलेशन में स्टॉक से डिविडेंड शामिल होता है, जिसे सामान्य इंडेक्स से हटा दिया जाता है। उदाहरण के लिए। निफ्टी - टीआरआई का प्रतिफल निफ्टी से अधिक होगा क्योंकि निफ्टी 50 कंपनियों द्वारा भुगतान किए गए लाभांश को पूर्व की गणना में शामिल किया गया है।
बाजार विभाजन के लिए 6 मामले
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तकनीकी शिक्षा और व्यावसायिक शिक्षा के मुद्दे पर साथ आए पांच ब्रिक्स देश
नई दिल्ली, 6 जुलाई (आईएएनएस)। पांच ब्रिक्स देशों के शिक्षा मंत्रियों ने उच्च शिक्षा तकनीकी शिक्षा, व्यावसायिक शिक्षा और प्रशिक्षण को लेकर एक संयुक्त घोषणापत्र पर हस्ताक्षर किए हैं। इसमें अकादमिक और अनुसंधान सहयोग को मजबूत करने की बात कही गई है।
भारत द्वारा 13वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन का आयोजन किया गया है। ब्रिक्स शिक्षा मंत्रियों की इस 8वीं बैठक में मंगलवार को इन मंत्रियों ने दो विषयों पर विचार-विमर्श किया। इनमें समावेशी और समान गुणवत्ता वाली शिक्षा सुनिश्चित करने और अनुसंधान और अकादमिक सहयोग बढ़ाने के लिए डिजिटल और तकनीकी समाधानों का लाभ उठाना शामिल है।
बैठक की अध्यक्षता करते हुए केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री संजय धोत्रे ने कहा कि भारत दुनिया भर में छात्रों, शिक्षकों, अभिभावकों, समुदायों और सरकारों द्वारा महामारी के प्रभावों को कम करने के लिए किए जा रहे ठोस प्रयासों को स्वीकार करता है। साथ ही हम एक अधिक लचीली शिक्षा प्रणाली का निर्माण करें।
उन्होंने शिक्षा की पूरी क्षमता का उपयोग करने के लिए विशेष रूप से ब्रिक्स देशों के बीच बहुपक्षीय सहयोग के महत्व को रेखांकित किया।
धोत्रे ने कहा कि यह आवश्यक है कि हम, समावेशी और समान गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तक सबकी पहुंच बनाने के लिए प्रौद्योगिकी के महत्व को पहचानें।
ब्रिक्स शिक्षा मंत्रियों ने उन नीतियों और पहल को भी साझा किया जो उन्होंने कोविड 19 महामारी के प्रभावों को कम करने के लिए शुरू की थी। भारत के लिए बोलते हुए शिक्षा राज्य मंत्री धोत्रे ने पीएम ई विद्या के तहत की गई पहल के बारे में बताया। उन्होंने स्वयं प्लेटफॉर्म, स्वयं प्रभाव चैनल्स और दीक्षा वर्चुअल लैब्स की बात की।
धोत्रे ने कहा कि जहां भारत समावेशी और समान गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए डिजिटल और तकनीकी समाधानों की क्षमता का एहसास करता है, वहीं हम डिजिटल विभाजन को कम करने और समाप्त करने की आवश्यकता को भी स्वीकार करते हैं। इसलिए, विशेष रूप से सामाजिक और आर्थिक रूप से वंचित जनसंख्या समूहों के मामले में, डिजिटल उपकरणों सहित डिजिटल संसाधनों तक पहुंच में असमानता को खत्म करने के प्रयासों को तेज करने की आवश्यकता है।
इस संदर्भ में उन्होंने कहा कि भारत डिजिटल इंडिया अभियान और एफटीटीएच कनेक्टिविटी के माध्यम से डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्च र का तेजी से विस्तार कर रहा है।
इस बैठक से पहले, ब्रिक्स नेटवर्क विश्वविद्यालयों के अंतर्राष्ट्रीय शासी बोर्ड की 29 जून को बैठक हुई थी। इसमें सदस्य देशों द्वारा इस पहल के तहत अब तक की गई प्रगति पर एक नजर डालने और इसे आगे बढ़ाने के तरीकों पर चर्चा की गई थी। शिक्षा पर वरिष्ठ ब्रिक्स अधिकारियों की एक बैठक 2 जुलाई को अमित खरे, सचिव उच्च शिक्षा की अध्यक्षता में हुई थी।
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डेली न्यूज़
विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO), वैश्विक जल संसाधन रिपोर्ट 2021.
चर्चा में क्यों?
हाल ही में WMO (विश्व मौसम विज्ञान संगठन) ने अपनी पहली वार्षिक स्टेट ऑफ ग्लोबल वाटर रिसोर्सेज रिपोर्ट 2021 जारी की है।
रिपोर्ट:
- इस वार्षिक रिपोर्ट का उद्देश्य बढ़ती मांग और सीमित आपूर्ति के युग में वैश्विक ताजे जल के संसाधनों की निगरानी और प्रबंधन का समर्थन करना है।
- रिपोर्ट तीन प्रमुख क्षेत्रों पर केंद्रित है:
- धारा प्रवाह, किसी भी समय नदी धारा के माध्यम से बहने वाले जल की मात्रा।
- स्थलीय जल भंडारण (TWS) - भूमि की सतह पर और उप-सतह में के सभी जल की मात्रा।
- हिममंडल
रिपोर्ट के निष्कर्ष:
- परिचय:
- 2001 और 2018 के बीच, UN-WATER ने बताया कि सभी प्राकृतिक आपदाओं का 74% जल से संबंधित था।
- मिस्र में हाल ही में संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन, COP27 ने सरकारों से अनुकूलन प्रयासों में जल को एकीकृत करने का आग्रह किया, पहली बार COP में जल के महत्त्व के परिणामों को दस्तावेज़ों में संदर्भित किया गया है।
- 6 अरब लोगों को प्रति वर्ष कम से कम एक महीने जल तक अपर्याप्त पहुँच है और वर्ष2050 तक यह बढ़कर पाँच अरब से अधिक होने की उम्मीद है।
- वर्ष 2021 में विश्व के बड़े क्षेत्रों में सामान्य से अधिक बाजार विभाजन के लिए 6 मामले शुष्क स्थिति दर्ज की गई, जो एक ऐसा वर्ष था जिसमें जलवायु परिवर्तनऔरला नीना घटनासे वर्षा के प्रतिरूप प्रभावित हुए थे।
- 30 साल के हाइड्रोलॉजिकल औसत की तुलना में औसत प्रवाह से कम वाला क्षेत्र औसत प्रवाह से अधिक वाले क्षेत्र की तुलना में लगभग दो गुना बड़ा था।
- सूखा: असामान्य रूप से शुष्क क्षेत्रों में दक्षिण अमेरिका का रियो डी ला प्लाटा क्षेत्र शामिल है, जहाँ वर्ष 2019 से लगातारसूखेने इस क्षेत्र को प्रभावित किया है।
- सामान्य से नीचे: अफ्रीका में नाइज़र, वोल्टा, नील और कांगो जैसी प्रमुख नदियों में वर्ष 2021 में औसत से कम जल प्रवाह था। यही प्रवृत्ति रूस, पश्चिम साइबेरिया और मध्य एशिया के कुछ हिस्सों में नदियों में देखी गई थी।
- सामान्य से ऊपर: दूसरी ओर कुछ उत्तरी अमेरिकी बेसिनों, उत्तरी अमेज़ॅन और दक्षिण अफ्रीका के साथ-साथ चीन के अमूर नदी बेसिन एवं उत्तरी भारत में नदी जल की मात्रा सामान्य से अधिक थी।
- सामान्य से नीचे: नदी के प्रवाह में बदलाव के अलावा, समग्र स्थलीय जल भंडारण को संयुक्त राज्य अमेरिका के पश्चिमी तट पर, दक्षिण- मध्य अमेरिका और पेटागोनिया, उत्तरी अफ्रीका एवं मेडागास्कर, मध्य एशिया तथा मध्य पूर्व, पाकिस्तान और उत्तर भारत में सामान्य से नीचे के रूप में वर्गीकृत किया गया था।
- सामान्य से ऊपर: यह मध्य अफ्रीका, उत्तरी दक्षिण अमेरिका विशेष रूप से अमेज़ॅन बेसिन एवं उत्तरी चीन में सामान्य से ऊपर था।
- पहाड़ों को अक्सर प्राकृतिक "वाटर टावर्स" कहा जाता है क्योंकि वे अनुमानित रूप से 9 बिलियन लोगों के लिये नदियों और मीठे जल की आपूर्ति का स्रोत हैं।
- हिममंडलजल संसाधनों में परिवर्तन खाद्य सुरक्षा, मानव स्वास्थ्य, पारिस्थितिकी तंत्र की अखंडता और रखरखाव को प्रभावित करते हैं तथा आर्थिक एवं सामाजिक विकास पर गहरा प्रभाव डालते हैं।
भारतीय परिदृश्य:
- पूर्वी पाकिस्तान, उत्तरी भारत, दक्षिणी नेपाल और पूरे बांग्लादेश में फैले सिंधु-गंगा के मैदान (Indo-Gangetic Plain- IGP) पर ग्लोबल वार्मिंग के कुप्रभाव देखे जा सकते हैं।
- वर्ष 2021 में कुल जल भंडारण में गिरावट आने के बावजूद गंगा-ब्रह्मपुत्र और सिंधु घाटियों में हिमनदों के पिघलने के कारण इनकी नदी धाराओं में अधिक जल का प्रवाह दर्ज किया गया।
- यह बेहद चिंताजनक खबर है क्योंकि IGP चार देशों के लगभग आधे अरब लोगों के जीवन यापन हेतु सहायक है।
सुझाव:
- मीठे जल के संसाधनों के वितरण, मात्रा और गुणवत्ता में हुए परिवर्तन संबंधी समझ पर्याप्त नहीं है, इस अंतर बाजार विभाजन के लिए 6 मामले को समाप्त करने और दुनिया के विभिन्न हिस्सों में जल की उपलब्धता का संक्षिप्त विवरण प्रदान करने की आवश्यकता है।
- सूखे और बाढ़ की पूर्व चेतावनी प्रणाली के लिये एंड-टू-एंड विकास की आवश्यकता है।
- ग्लेशियर के पिघलने और उच्च जल उपलब्धता के समय का दीर्घकालिक अनुमान अनुकूलन निर्णयों के लिये महत्त्वपूर्ण इनपुट होना चाहिये।
- जल विज्ञान डेटा की उपलब्धता और साझाकरण में तेज़ी लाने की आवश्यकता है, जिसमें नदी के निर्वहन और सीमा पार नदी बेसिन की जानकारी शामिल है।
विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO):
- विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) 192 देशों की सदस्यता वाला एक अंतर-सरकारी संगठन है।
- भारत विश्व मौसम विज्ञान संगठन का सदस्य देश है।
स्रोत: डाउन टू अर्थ
शासन व्यवस्था
विश्व एड्स दिवस
-
टैग्स:
प्रिलिम्स के लिये:
विश्व एड्स दिवस, एड्स, HIV
मेन्स के लिये:
विश्व स्तर पर और राष्ट्रीय स्तर पर एड्स की स्थिति, एड्स, HIV, संबंधित पहल
चर्चा में क्यों?
विश्व एड्स दिवस प्रत्येक वर्ष 01 दिसंबर को पूरी दुनिया में इस बीमारी के बारे में जागरूकता बढ़ाने और उन सभी लोगों को याद करने के लिये मनाया जाता है जिन्होंने इससे अपनी जान गँवाई है।
एक नया रोजनामचा, एक बेबस तलाश
महामारी रुखसत ले रही है। यह विद्वानों ने हमें बता दिया है।
प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credit – Pixabay)
सुरेश सेठ
लेकिन इस देश में महामारी कब आती है, कब अपना रूप दिखाती है और कब अलविदा लेकर चली जाती है, कुछ पता नहीं चलता, क्योंकि यहां महामारियों की कतार लगी है। एक महामारी हमारी जिंदगियों के मंच से विदा भी नहीं होती कि एक और महामरी मंच पर उभर आती है कि जैसे उसके हटने का इंतजार ही कर रही हो।
आम आदमी परेशान और जीने मरने का वही सिलसिला फिर से शुरू हो जाता है। लोग जो सुनते हैं, केवल खबरों से सुनते हैं। एक सच जो आज सच होता है, कल झूठा हो जाता है। पहले सुनते थे कि लाखों लोग बीमार पड़ रहे हैं। अस्पतालों में उनके लिए बिस्तर नहीं हैं। दम घुटने लगे तो प्राण वायु के सिलेंडर नहीं मिलते। फिर एक प्राणरक्षक दवा की चर्चा होने लगी। उससे काले बाजार सक्रिय नजर आने लगे। यहां सब कुछ मिल जाता था, केवल अपनी फटी जेब और ढीली करने का यह सिलसिला तो चलता ही रहता है।
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मंडियों के सरगना नाम बदलकर एक और प्राणरक्षक दवा ले आते हैं और फिर वैसी ही खबरें सुनने को मिलने लगती हैं। जो सुना था, वह यह था कि महामारी में बहुत से लोग मर गए। दाहस्थलों में जगह नहीं है। बाहर लाशों की कतार लगी है। सही जगह दाहकर्म हो सके, इसके लिए वहां के रखवालों के सामने फिर जेब ढीली करनी पड़ती है। भीड़ बहुत थी, और मुंह ढकी लाशें। भूल से लाश किसी की दूसरे की जगह जल गई।
सब्र कीजिए, यह भीड़ भरा मुल्क है। कतार लगी है, भूख की, बीमारी की। उसके पीछे-पीछे चली आ रही है बेरोजगारी और पीठ थपथपा रहे हैं भ्रष्टाचारियों के दावे। ऐसे में एक स्वर यह भी उठा कि ‘बच्चे ज्यादा पैदा करोगे, तो सजा तजवीज हो’, कोई नहीं माना। लोगों की रोटी का ठिकाना न पहले था, न अब है।
यह धर्म प्राण देश है। दानवीरों की कमी नहीं। गाढ़े वक्त के पसीने की तरह प्रकट होने लगे अर्धकंकाल लाशों का नियम संयम से दाहकर्म होगा। लेकिन जो जीते जी कंकाल हो गए, उनकी खबर लेने का काम इन दानवीरों का नहीं। वे तो मीडिया से चित्र खिंचवा आगे बढ़ गए। जिंदा मानव कंकालों की खबर खैराती व्यवस्था लेती है। रियायती दरों पर मिलता राशन खबर लेगा। मुफ्त रोटी बांटते भोजनालय लेंगे। कहा गया कि हमने इस विकट समय में अस्सी करोड़ लोगों को भोजन खिलाया। देश की साठ फीसद आबादी बनती है बाजार विभाजन के लिए 6 मामले यह।
व्यवस्था जब उनके लिए रोजी रोजगार का वसीला उपलब्ध नहीं कर सकती, तो वे भोजन नहीं मांगेंगे तो और क्या करेंगे? न्याय पीठ से खबर आई, ‘भूख से किसी को मरने न दिया जाए। रोटी-पानी उनका जन्मसिद्ध संवैधानिक अधिकार है।’ किसी ने पूछा, और काम करने का अधिकार? उसकी बात अभी न करें। जवाब टेढ़े हो जाते हैं। जनाब राजनीतिक दर्शन के खेमे में बंट जाते हैं। वैर-विरोध और हिंसा को जन्म देते हैं। इसलिए वह पुराना मूलमंत्र दोहराओ, ‘अजगर करे न चाकरी, पंछी करे न काम, दास मलूका कह गए सब के दाता राम।’
लेकिन हम पंछी हैं या अजगर, अभी इसका फैसला नहीं हो सका। इसलिए जब तक फैसला नहीं होता, इस आपाधापीवाद को जिंदा रखा जाए और विश्व में प्रसारित भुखमरी के इस सूचकांक को नजरअंदाज कर दिया जाए, जिसकी खोज है, ‘इन बरसों में भारत भुखमरी सूचकांक में गिरावट की दुगनी सीढ़ियां उतर गया है।’ यानी भूख से मरने वालों की संख्या दोगुनी हो गई। यह गलत है साब! बिल्कुल गलत है! आंकड़े विदेश से आए हैं! हमें तो इसमें कोई विदेशी षड्यंत्र लगता है।
अब देखो कि हमने तो सरकारी तौर पर यह कहा था कि महामारी की लहरों में देश में सवा चार लाख से अधिक लोग नहीं मरे और विदेशी विश्वविद्यालयों के नकचढ़े शोधछात्र थीसिस बांचते हैं कि कम से कम तीस-चालीस लाख लोग मरे! माना कि यह त्रासदी थी, लेकिन इतनी बड़ी भी नहीं कि आप इस भारत-पाक विभाजन में पलायन करते लोगों से बड़ी मृत्यु त्रसदी मान लें।
जनाब इन शोर मचाने वालों की परवाह न कीजिए। उनके लिए तो यही फरमा दें शायराना अंदाज में, ‘कि बहुत शोर सुनते थे पहलू में दिल का, जो चीरा तो कतरा-ए-खून निकला।’ अब कितना शोर हुआ था कि हजारों लोग उस महामारी में आक्सीजन न मिलने से चल बसे! आक्सीजन तो अभी भी नहीं, लेकिन उधर जाच-पड़ताल की तलाश की रिपोर्ट मंगवाई तो पाया कि एक भी आदमी आक्सीजन न मिलने के कारण नहीं मरा, लोग खुश-ओ-खुर्रम हैं। अब देख लें ऐसे मसलों को। फिर शोर मचेगा।
नतीजा एक दिन भी संसद ढंग से नहीं चलने दी जाती। विकास की गाड़ी चलने से पहले ही रोक दी जाती है। ‘करवाएंगे साहिब, इसकी जांच भी करवा देंगे।’ वे बाजार विभाजन के लिए 6 मामले बोलते हैं। लेकिन फिलहाल हमें तो अभी से इसके पीछे विदेशी हाथ साफ नजर आ रहा है! अब इसे कैसे मरोड़ कर बाहर कर दें, यही सोचना है!
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