वैश्विक रीयल्टी पादर्शिता सूचकांक में भारत की रैंकिंग में एक स्थान का सुधार

रीयल्टी सलाहकार जेएलएल के वैश्विक रीयल एस्टेट पारदर्शिता सूचकांक में भारत की स्थिति एक स्थान सुधर गई है। इस द्विवार्षिक सर्वेक्षण में भारत 35वें स्थान पर आ गया है जबकि पिछली रपट में भारत का स्थान 36 वां था। सर्वेक्षण रपट में इसकी अहम वजह इस क्षेत्र में नीतिगत सुधार और प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के नियमों में सुगमता को बताया गया है।

Reported by: Manoj Kumar @kumarman145
Published on: June 28, 2018 16:45 IST

India ranking improves in Global Reality Transparency Index - India TV Hindi

India ranking improves in Global Reality Transparency Index

नई दिल्ली। रीयल्टी सलाहकार जेएलएल के वैश्विक रीयल एस्टेट पारदर्शिता सूचकांक में भारत की स्थिति एक स्थान सुधर गई है। इस द्विवार्षिक सर्वेक्षण में भारत 35वें स्थान पर आ गया है जबकि पिछली रपट में भारत का स्थान 36 वां था। सर्वेक्षण रपट में इसकी अहम वजह इस क्षेत्र में नीतिगत सुधार और प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के नियमों में सुगमता को बताया गया है।

जेएलएल के 2016 के सर्वेक्षण में जहां भारत का स्थान 36 वां था वहीं उससे पहले 2014 में यह स्थान 40 वां रहा था। देश के रीयल्टी बाजार को अभी ‘ अर्द्ध - पारदर्शी श्रेणी ’ में रखा गया है। जेएलएल इंडिया के मुख्य कार्यकारी अधिकारी और देश में प्रमुख रमेश नायर ने कहा कि 2020 में होने वाले सर्वेक्षण में यह रैंकिंग और बेहतर होने की संभावना है। इसके पीछे अहम वजह बेनामी लेनदेन अधिनियम , माल एवं सेवाकर (GST) और रीयल एस्टेट (विनियम एवं विकास) अधिनियम-रेरा जैसी कई सरकारी पहलें हैं।

सर्वेक्षण में ब्रिटेन शीर्ष पर रहा है। इसके बाद ऑस्ट्रेलिया , अमेरिका , फ्रांस , कनाडा , नीदरलैंड , न्यूजीलैंड , जर्मनी , आयरलैंड और स्वीडन 10 शीर्ष देशों में शामिल है। भारत के पड़ोसी मुल्क श्रीलंका का इस सूची में 66 वां और पाकिस्तान का 75 वां स्थान है। वेनेजुएला इस सूची में 100 वें स्थान पर रहा है।

वैश्विक यात्रा और पर्यटन विकास सूचकांक: 54वें स्थान पर फिसला भारत, दक्षिण एशिया में शीर्ष पर

वैश्विक यात्रा और पर्यटन विकास सूचकांक: 54वें स्थान पर फिसला भारत, दक्षिण एशिया में शीर्ष पर

वैश्विक यात्रा और पर्यटन के लिए बेहतर माहौल बनाने और सुविधा मुहैया कराने के मामले में भारत की स्थिति में गिरावट आ रही है। यही कारण है कि विश्व आर्थिक मंच (WEF) की ओर से मंगलवार को जारी किए गए वैश्विक यात्रा और पर्यटन विकास सूचकांक, 2021 में भारत प्रमुख वैश्विक सूचकांक आठ स्थानों की गिरावट के साथ 54वें स्थान पर पहुंच गया है। हालांकि, दक्षिण एशियाई देशों में भारत शीर्ष स्थान पर रहा है, लेकिन वैश्विक स्तर पर प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा।

न्यूजबाइट्स प्लस (जानकारी)

बता दें कि WEF की ओर से हर दो साल में वैश्विक यात्रा और पर्यटन विकास सूचकांक जारी किया जाता है। इसमें वैश्विक यात्रा और पर्यटन के मामले में शीर्ष 117 देशों में पर्यटन और यात्रा को बढ़ावा देने के लिए किए जा रहे प्रयास और देशों में उपलब्ध सुविधाओं का आंकलन किया जाता है। इसके अलावा इनका संबंधित देशों की अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाले प्रभाव को भी देखते हुए देशों की रैकिंग निर्धारित की जाती है।

जापान ने हासिल किया शीर्ष स्थान

WEF द्वारा जारी किए गए ताजा सूचकांक ने जापान ने शीर्ष स्थान हासिल किया है। इसी तरह अमेरिका ने दूसरा, स्पेन ने तीसरा, फ्रांस ने चौथा, जर्मनी ने पांचवा, स्विट्जरलैंड ने छठा, आस्ट्रेलिया ने सातवां, ब्रिटेन ने आठवां, सिंगापुर ने नौवा और इटली ने दसवां स्थान हासिल किया है। इसी तरह भारत ने साल 2019 के 46वें पायदान से आठ स्थानों की गिरावट के साथ 54वां स्थान हासिल किया है, जो देश की अर्थव्यवस्था के लिए चिंता की बात है।

सबसे फिसड्डी रहा है चाड

सूचकांक में मध्य अफ्रीकी देश चाड सबसे फिसड्डी रहा है। उसे 117वां स्थान मिला है। इसके बाद यमन, सिएरा लियोन, अंगोला, कैमरून, लेसोथो, नाइजीरिया, मालावी और वेनेजुएला का नंबर आया है। इन देशों में पिछले दो सालों में यात्रा और पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए कोई विशेष प्रयास नहीं किए गए हैं और वहां उपलब्ध सुविधाओं में भी गिरावट आई है। यही कारण रहा कि इन प्रमुख वैश्विक सूचकांक देशों में यात्रा और पर्यटन का ग्राम बेहद नीचा रहा है।

भारत के पड़ोसी देशों की क्या रही है स्थिति?

इस सूचकांक में चीन (12वां स्थान) ही भारत से आगे रहा हैं। इसके अलावा आर्थिक संकट से जूझ रहे श्रीलंका को (74वां), पाकिस्तान को (84वां), बांग्लादेश ने (100वां) और नेपाल ने (102वां) स्थान हासिल किया है। भारत दक्षिण एशिया में शीर्ष पर रहा है।

महामारी से उबर रहे देशों के सामने है चुनौतियां- लॉरेन

WEF में विमानन, यात्रा और पर्यटन मामलों के प्रमुख लॉरेन अपिंक ने कहा, "117 देशों के अध्ययन में सामने आया है कि सभी देश कोरोना महामारी के संकट से उबर रहे हैं, लेकिन पुनरुद्धार असंतुलित है और चुनौतियां बनी हुई हैं।" उन्होंने कहा, "कोविड-19 महामारी की रोकथाम के लिये लागू पाबंदियों ने यात्रा और पर्यटन के महत्वपूर्ण योगदान को प्रभावित किया है। ऐसे में देशों को यात्रा और पर्यटन अनुभवों को बेहतर बनाने के लिए मजबूत परिवेश तैयार करना होगा।"

अंतरराष्ट्रीय पर्यटन और कारोबारी यात्रा में नहीं हुआ पर्याप्त इजाफा

लॉरेन अपिंक ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय पर्यटन और कारोबारी यात्रा अब भी महामारी से पहले के स्तर से नीचे है, लेकिन तेजी से वैक्सीनेशन और घरेलू तथा प्रकृति से जुड़े पर्यटन की मांग से क्षेत्र में गतिविधियां मजबूत हो रही हैं। उन्होंने कहा कि 117 देशों में से केवल 39 देशों में यात्रा और पर्यटन को लेकर एक प्रतिशत से अधिक सुधार हुआ है, जबकि 27 देशों में एक प्रतिशत से अधिक की गिरावट आई है।

पीएम की आर्थिक परिषद ने वैश्विक सूचकांकों को दी चुनौती, विश्व बैंक से जवाबदेही सुनिश्चित करने को कहा

प्रधान मंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद ने मंगलवार को उन वैश्विक एजेंसियों को चुनौती दी, जिन्होंने भारत को कई धारणा आधारित सूचकांकों पर लगातार डाउनग्रेड किया है और विश्व बैंक से ऐसी प्रमुख वैश्विक सूचकांक एजेंसियों की जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए कहा है।

प्रमुख अर्थशास्त्री संजीव सान्याल द्वारा लिखित EAC के वर्किंग पेपर में यह भी कहा गया है कि स्वतंत्र भारतीय थिंक टैंक को "मुट्ठी भर पश्चिमी संस्थानों के एकाधिकार को तोड़ने के लिए दुनिया के लिए समान धारणा-आधारित सूचकांक बनाने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए"।

पेपर में, सान्याल का कहना है कि हाल के वर्षों में, भारत की रैंकिंग और स्कोर में कई वैश्विक राय-आधारित सूचकांकों पर गिरावट आई है, जो लोकतंत्र, स्वतंत्रता आदि जैसे व्यक्तिपरक मुद्दों से निपटते हैं।

वर्किंग पेपर तीन धारणा-आधारित सूचकांकों का विश्लेषण करता है: फ्रीडम इन द वर्ल्ड इंडेक्स, वी-डीईएम इंडेक्स और ईआईयू डेमोक्रेसी इंडेक्स।

"विश्व सूचकांक में स्वतंत्रता और V-DEM सूचकांकों ने भारत को 1970 के दशक के आपातकाल के समान स्तर पर रखा है। इसके अलावा, भारत को उत्तरी साइप्रस जैसे देशों से नीचे रखा गया है। निश्चित रूप से, यह विश्वसनीय नहीं है," लेखक ध्यान दें।

"सबसे पहले, ये सूचकांक मुख्य रूप से अज्ञात विशेषज्ञों के एक छोटे समूह की राय पर आधारित हैं। दूसरा, जिन प्रश्नों का उपयोग किया जाता है वे व्यक्तिपरक होते हैं और इस तरह से लिखे जाते हैं कि किसी देश के लिए भी निष्पक्ष रूप से उत्तर देना असंभव है, अकेले ही देशों की तुलना करें। तीसरा, ऐसे प्रश्न हैं जिन्हें पूछा जाना चाहिए लेकिन उन्हें बाहर रखा गया है, "कागज का तर्क है।

यह जोड़ता है कि इन सूचकांकों द्वारा उपयोग किए जाने वाले कुछ प्रश्न सभी देशों में लोकतंत्र का एक उपयुक्त उपाय नहीं हैं।

वर्किंग पेपर कहता है, "चूंकि ये सूचकांक विश्व शासन संकेतकों में इनपुट हैं, इसलिए विश्व बैंक को इन संस्थानों से अधिक पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करनी चाहिए।"

Global Innovation Index 2022, रैंकिंग लिस्ट और भारत की रैंक

Global Innovation Index 2022 WIPO द्वारा जारी कर दिया गया है. इसने विभिन्न सूचकांक के आधार पर देशों को सूचीबद्ध किया. Global Innovation Index 2022 में भारत की रैंक और अन्य जानकारी इस लेख में दी गई है.

Published On October 7th, 2022

Global Innovation Index 2022, रैंकिंग लिस्ट और भारत की रैंक_40.1

Global Innovation Index 2022 In Hindi

ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स अर्थव्यवस्था के नवाचार प्रदर्शन को मापने के लिए एक संदर्भ प्रदान करता है। कई देश अपने नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र का आकलन और सुधार करने और आर्थिक नियोजन में आवश्यक सुधार लाने के लिए ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स (GII) का उपयोग करते हैं। ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स विश्व बौद्धिक संपदा संगठन (WIPO) द्वारा प्रतिवर्ष जारी किया जाता है। ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स 2022 की थीम है- “नवाचारसंचालित विकास का भविष्य क्या है?

GII 2022 में प्रयुक्त संकेतक

ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स देशों को रैंक देने के लिए निम्नलिखित संकेतकों का उपयोग करता है- ‘संस्थान’, ‘मानव पूंजी और अनुसंधान’, ‘बुनियादी ढांचे’, ‘बाजार परिष्कार’, ‘व्यापार परिष्कार’, ‘ज्ञान और प्रौद्योगिकी आउटपुट’ और ‘उत्पादन बनाना’।

जीआईआई 2022 दो नवीन नवाचार लहरों के सकारात्मक प्रभावों की रूपरेखा तैयार करता है। इन दो नवीन नवाचार लहरों में सुपरकंप्यूटिंग, कृत्रिम बुद्धिमत्ता और स्वचालन पर निर्मित एक डिजिटल युग नवाचार लहर और जैव प्रौद्योगिकी, नैनो प्रौद्योगिकी, नई सामग्री और अन्य विज्ञानों में सफलताओं पर निर्मित एक गहन विज्ञान नवाचार लहर शामिल है।

ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स 2022 रैंकिंग शीर्ष 10 देशों की सूची

ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स 2022 में सूचीबद्ध शीर्ष 10 देशों की सूची यहां दी गई है:

श्रेणी देश
1 स्विट्ज़रलैंड
2 संयुक्त राज्य अमेरिका
3 स्वीडन
4 यूनाइटेड किंगडम
5 नीदरलैंड
6 कोरिया गणराज्य
7 सिंगापुर
8 जर्मनी
9 फिनलैंड
10 डेनमार्क

यह स्पष्ट है कि स्विट्जरलैंड ने ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स 2022 पहली रैंक हासिल की है। स्विट्ज़रलैंड लगातार 12वें वर्ष दुनिया की सबसे नवाचारी अर्थव्यवस्था है। इसके बाद संयुक्त राज्य अमेरिका, स्वीडन, यूनाइटेड किंगडम और नीदरलैंड का स्थान है।

ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स 2022 भारत की रैंक

विश्व बौद्धिक संपदा संगठन (डब्ल्यूआईपीओ) द्वारा जारी ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स (जीआईआई) 2022 रैंकिंग में भारत 132 में से 40वें स्थान पर है।

पिछले वर्ष भारत 46वें स्थान पर था। यदि हम इस वर्ष की रैंक की तुलना 2015 में 81वें रैंक से करें तो यह एक बड़ा सुधार है। भारत पहली प्रमुख वैश्विक सूचकांक प्रमुख वैश्विक सूचकांक बार शीर्ष 40 में शामिल हुआ है।

भारत निम्न मध्यम आय वर्ग में नवाचारी नेता है। यह आईसीटी सेवाओं के निर्यात में दुनिया का नेतृत्व करता है और अन्य संकेतकों में शीर्ष रैंकिंग रखता है, जिसमें उद्यम पूंजी प्राप्ति मूल्य, स्टार्टअप और स्केल अप के लिए वित्त, विज्ञान और इंजीनियरिंग में स्नातक, श्रम उत्पादकता वृद्धि और घरेलू उद्योग विविधीकरण शामिल हैं। भारत ने अनुसंधान एवं विकास व्यय और उद्यम पूंजी में भी वृद्धि देखी है।

WIPO के बारे में

डब्ल्यूआईपीओ बौद्धिक संपदा (आईपी) सेवाओं, नीति, सूचना और सहयोग के लिए वैश्विक मंच है। यह संयुक्त राष्ट्र की विशिष्ट एजेंसियों में से एक है। इसकी स्थापना प्रमुख वैश्विक सूचकांक 14 जुलाई 1967 को हुई थी। इसका मुख्यालय जिनेवा में है।

यह 193 सदस्य राज्यों के साथ एक स्ववित्तपोषित एजेंसी है। भारत डब्ल्यूआईपीओ का संस्थापक सदस्य नहीं था।

इसका उद्देश्य एक संतुलित और प्रभावी अंतरराष्ट्रीय आईपी प्रणाली के विकास का नेतृत्व करना है जो सभी के लाभ के लिए नवाचार और रचनात्मकता को सक्षम बनाता है।

ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स 2022- अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

Q. ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स 2022 किसके द्वारा जारी किया गया है?

Ans. WIPO द्वारा GII 2022 को जारी किया गया है।

Q. WIPO का मुख्यालय कहाँ है?

Ans. WIPO का मुख्यालय जिनेवा में है।

Q. ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स 2022 में भारत का रैंक क्या है?

मानव विकास सूचकांक में भारत 132वें स्थान पर, सतत विकास लक्ष्यों में बढ़ा योगदान

मानव विकास सूचकांक में भारत 132वें स्थान पर, सतत विकास लक्ष्यों में बढ़ा योगदान

नई दिल्ली: गुरुवार (8 सितंबर) को जारी मानव विकास रिपोर्ट 2021/2022 में भारत 191 देशों और क्षेत्रों में से 132वें स्थान पर है. 2020 और 2021, पांच साल की प्रगति के उलट एक राष्ट्र के स्वास्थ्य, शिक्षा और औसत आय के मापक यंत्र मानव विकास में लगातार दो वर्षों में गिरावट आई है. यह वैश्विक गिरावट के अनुरूप है, जो दर्शाता है कि दुनिया भर में मानव विकास 32 वर्षों में पहली बार ठप हो गया है. यूएनडीपी द्वारा शुरू की गई नवीनतम मानव प्रमुख वैश्विक सूचकांक विकास रिपोर्ट – अनसर्टेन टाइम्स, अनसेटल्ड लाइव्स: शेपिंग अवर फ्यूचर इन अ ट्रांसफॉर्मिंग वर्ल्ड – बताती है कि नब्बे प्रतिशत देशों ने 2020 या 2021 में अपने मानव विकास सूचकांक (एचडीआई) के मूल्य में कमी देखी है. हालांकि सतत विकास लक्ष्यों की दिशा में बहुत अधिक प्रगति हुई है, सतत विकास में भारत का अंतरराष्ट्रीय योगदान लगातार बढ़ रहा है.

रिपोर्ट के अनुसार, पिछले दो वर्षों में मानव विकास में गिरावट के पीछे प्रमुख कारण दुनिया के सामने आए संकट हैं. इसमें COVID-19 और यूक्रेन में युद्ध के साथ-साथ सामाजिक और आर्थिक बदलाव और खतरनाक ग्रह परिवर्तन शामिल थे. यूएनडीपी के प्रशासक अचिम स्टेनर ने कहा, “दुनिया बैक-टू-बैक संकटों का जवाब देने के लिए हाथ-पांव मार रही है. हमने जीवन की लागत और ऊर्जा संकट के साथ देखा है कि, जबकि यह जीवाश्म ईंधन को सब्सिडी देने जैसे त्वरित सुधारों पर ध्यान प्रमुख वैश्विक सूचकांक केंद्रित करने के लिए आकर्षक है, तत्काल राहत रणनीति दीर्घकालिक प्रणालीगत परिवर्तनों में देरी कर रही है जो हमें करना चाहिए.

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