समसामयिकी प्रश्न
बांदीपुर टाइगर रिजर्व को 1974 में 'प्रोजेक्ट टाइगर' के तहत स्थापित किया गया था। यह भारत में बाघों की सबसे ज्यादा आबादी वाला रिज़र्व है, जोकि कर्नाटक में स्थित है। मुदुमुलाई, नागहरोल और वायनाड वन्यजीव अभयारण्य के साथ यह 'नीलगिरी बायोस्फीयर रिजर्व' का हिस्सा है।
प्रारंभिक परीक्षा के लिए यह प्रश्न इतना महत्वपूर्ण क्यों है?
बांदीपुर टाइगर रिजर्व अक्सर समाचारों में रहता है इसलिए इससे संबंधित जानकारी को ध्यान में रखना आवश्यक है।
ब्रिक्स-पार्टनर
'ब्रिक्स-पार्टनर' हाल ही में समाचारों में था, यह संबंधित है:-
ब्रिक्स-पार्टनर एक विदेशी मुद्रा बाजार इतना तरल क्यों है? ऐसा मंच है जो डिजिटलकरण, औद्योगिकीकरण, समावेशिता और अवसरों को अधिकतम करने एवं चौथी औद्योगिक क्रांति की चुनौतियों का समाधान करने के विदेशी मुद्रा बाजार इतना तरल क्यों है? लिए विज्ञान पार्क और प्रौद्योगिकी इनक्यूबेटर बनाकर मजबूत करने में मदद करेगा, एमएसएमई क्षेत्रों को उनकी तकनीक को बढ़ाने में सहायता करेगा। ।
स्रोत: विदेश मंत्रालय, भारत सरकार (वेबसाइट)
बुनियादी ढांचा कोष
केंद्रीय सड़क एवं बुनियादी ढांचा कोष (सीआरआईएफ) के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:
I. इसकी देखरेख सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय करता है।
II. हाल ही में सड़क परिवहन मंत्री की अध्यक्षता में विभिन्न आधारभूत परियोजनाओं को धन आवंटित करने के लिए एक पैनल का गठन किया गया।
नीचे दिए गए कूट से सही कथन का चयन करें:
बजट 2018 ने केन्द्रीय सड़क निधि अधिनियम, 2000 में संशोधन कर, इसे केंद्रीय सड़क एवं बुनियादी ढांचा कोष (सीआरआईएफ) के रूप में नामित किया। इस संशोधन का उद्देश्य सीआरआईएफ के तहत सड़क उपकर से प्राप्त कोष का इस्तेमाल अन्य बुनियादी ढांचा परियोजनाओं मसलन जलमार्ग, रेल ढांचे के कुछ हिस्से और सामाजिक ढांचे (शिक्षा संस्थान और मेडिकल कॉलेज आदि) के वित्तपोषण के लिए करना है। इसलिए, इन सभी बातों को ध्यान में रखते हुए इसे सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय से वित्त मंत्रालय को स्थानांतरित कर दिया गया है। हाल ही में, सरकार ने सीआरआईएफ से बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के लिए कोष आवंटन पर फैसला करने के लिए वित्त मंत्री की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया है।
प्रारंभिक परीक्षा के लिए यह प्रश्न इतना महत्वपूर्ण क्यों है?
एक उल्लेखनीय निधि (केन्द्रीय सड़क निधि) को एक मंत्रालय से दूसरे मंत्रालय में स्थानांतरित किया गया है, इसके कारण होने वाले बदलावों को देखना आवश्यक है, इसलिए, हमने इसे छात्रों के ध्यान में लाने की कोशिश की है।
त्योहारों से पहले देश में बढ़ेगी तमाम चीजों की कीमत, जानिए क्यों
कच्चे तेल की अंतरराष्ट्रीय कीमतों में इजाफे के कारण भारत की पेट्रोलियम कंपनियां भी ईंधनों के दाम लगातार बढ़ा रही हैं।
Edited by: India TV Paisa Desk
Published on: October 06, 2021 19:12 IST
Photo:PTI
Rupee plunges 54 paise to over 5mth low of 74.98 against US dollar
नई दिल्ली। त्योहार से पहले देश में कई चीजों के दाम बढ़ सकते हैं। बुधवार को 54 पैसे की बड़ी गिरावट के साथ रुपया अमेरिकी डॉलर के सामने अपने पांच महीने के निम्नतम स्तर पर पहुंच गया है। रुपये के कमजोर होने से आयात महंगा हो जाता है, जबकि निर्यातकों को इसका फायदा मिलता है। अन्य मुद्राओं की तुलना में डॉलर के मजबूत होने तथा कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों के कारण अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में बुधवार को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया 54 पैसे की गिरावट के साथ 74.98 (अस्थायी) प्रति डॉलर पर बंद हुआ।
बहुत दिनों बाद डॉलर आया रुपये के नीचे, डॉलर के मुकाबले 53 पैसे उछलकर 73.69 रुपये पर पहुंचा
डॉलर के आगे रुपया हुआ और मजबूत, डॉलर के मुकाबले 29 पैसे बढ़कर 73 रुपये पर पहुंचा
अमेरिकी डॉलर के आगे रुपया पहुंचा छह माह के निचले स्तर पर, 19 पैसे की गिरावट के बाद 74.31 पर हुआ बंद
अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपया बुधवार को सुबह 74.63 पर खुला। कारोबार के दौरान यह 74.54 के उच्च स्तर और 74.99 रुपये के निम्न स्तर के दायरे में रहा और अंत में पिछले दिन के बंद भाव के मुकाबले 54 पैसे की गिरावट के साथ 74.98 प्रति डॉलर पर बंद हुआ। रुपया मंगलवार को 74.44 रुपये प्रति डॉलर पर बंद हुआ था।
इस बीच, छह प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले अमेरिकी डॉलर की स्थिति बताने वाला डॉलर सूचकांक 0.41 प्रतिशत बढ़कर 94.36 हो गया। वैश्विक मानक ब्रेंट क्रूड का दाम 0.55 प्रतिशत घटकर 82.11 डॉलर प्रति बैरल रह गया।
इंदौर में डीजल का दाम बढ़कर रिकॉर्ड 100.49 रुपये प्रति लीटर पर पहुंचा
मध्यप्रदेश की आर्थिक राजधानी कहे जाने वाले इंदौर में बुधवार को डीजल का भाव 38 पैसे बढ़कर 100.49 रुपये प्रति लीटर के अबतक के रिकार्ड स्तर पर पहुंच गया। वहीं पेट्रोल 31 पैसे की वृद्धि के साथ 111.49 रुपये प्रति लीटर की दर पर बिका। पेट्रोलियम कारोबार से जुड़े स्थानीय प्रतिनिधियों ने यह जानकारी दी। उन्होंने बुधवार की दरों के हवाले से बताया कि शहर में पेट्रोल और डीजल के दामों में अब केवल 11 रुपये का फर्क रह गया है।
गौरतलब है कि कच्चे तेल की अंतरराष्ट्रीय कीमतों में इजाफे के कारण भारत की पेट्रोलियम कंपनियां भी ईंधनों के दाम लगातार बढ़ा रही हैं। भारत अपनी जरूरत का करीब 85 फीसद कच्चा तेल आयात करता है। आयातित कच्चे तेल को पेट्रोल और डीजल जैसे ईंधनों में बदला जाता है।
FDI में जबरदस्त उछाल, इतना बढ़ गया भारत का विदेशी मुद्रा भंडार
FDI: विदेशी पोर्टफोलियो इन्वेस्टर्स के भारत से 1.5 बिलियन डॉलर निकालने और आयात में बढ़ोतरी के कारण विदेशी मुद्रा भंडार 19 विदेशी मुद्रा बाजार इतना तरल क्यों है? बिलियन डॉलर बढ़ा है
- Money9 Hindi
- Publish Date - July 22, 2021 / 03:43 PM IST
किसी देश की एक इकाई, जो भारत के साथ एक भूमि सीमा साझा करती है या जहां भारत में निवेश का लाभकारी स्वामी स्थित है या ऐसे किसी देश का नागरिक है, केवल सरकारी मार्ग के तहत निवेश कर सकता है.
FDI: चालू वित्त वर्ष के पहले दो महीनों में भारत ने प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) में जबरदस्त वृद्धि दर्ज की है. पिछले साल के मुकाबले में अप्रैल-मई का निवेश का फ्लो दोगुना हो गया है.
प्रवाह का एक तिहाई हिस्सा कंपनियों द्वारा संयंत्रों में निवेश के बजाय दूसरे लेनदेन के माध्यम से शेयरों के अधिग्रहण के कारण हो रहा है, जिससे देश को इस प्रक्रिया में मजबूत विदेशी मुद्रा भंडार जमा करने में मदद मिली है.
कई स्टार्टअप कंपनियां सार्वजनिक या निजी तौर पर पूंजी जुटाने की कोशिश कर रहे हैं, ताकि बाद में मांग में बढ़ोतरी की तैयारी की जा सके.
दोगुना हुआ FDI फ्लो -RBI
भारतीय रिजर्व बैंक के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, इस साल अप्रैल-मई में सकल FDI फ्लो दोगुना से बढ़कर 18.3 बिलियन डॉलर हो गया, जो एक साल पहले इसी अवधि में 8.5 बिलियन डॉलर था.
लेकिन आमदनी का लगभग एक तिहाई भाग तकरीबन 6.3 बिलियन डॉलर नई परियोजनाओं में निवेश के बजाय शेयरों के अधिग्रहण के रूप में है.
बहरहाल, यह देश की विदेशी मुद्राकोष में मदद कर रहा है. पोर्टफोलियो निवेश के विपरीत यहां शेयरों का कोई लाभ स्टॉक एक्सचेंज डील नहीं हैं.
मांग में बढ़ोतरी की संभावना
बार्कलेज कैपिटल में भारत के मुख्य अर्थशास्त्री राहुल बाजोरिया ने बताया कि कई स्टार्टअप कंपनियां सार्वजनिक या निजी तौर पर पूंजी जुटाने की कोशिश कर रहे हैं, ताकि बाद में मांग में बढ़ोतरी की तैयारी की जा सके.
अर्थशास्त्री इसे एक व्यापक प्रवृत्ति के रूप में देखते हैं. जुलाई 2020 और मई 2021 के बीच ग्यारह महीनों में से आठ महीनों में आमदनी प्रवाह दर कम से कम आधा बिलियन डॉलर या उससे अधिक रहा है, जो आरबीआई के विदेशी निवेश डेटा शो के विश्लेषण से पता चलता है. यह अर्थव्यवस्था को मजबूत विदेशी मुद्रा भंडार बनाने में मदद करता है.
विदेशी मुद्रा भंडार बढ़ा
अप्रैल-मई महीने में, विदेशी पोर्टफोलियो इन्वेस्टर्स के भारत से 1.5 बिलियन डॉलर निकालने और आयात में बढ़ोतरी के कारण डॉलर की मांग बढ़ने के बावजूद भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 19 बिलियन डॉलर बढ़ा है.
व्यापार और विकास पर हाल ही में संयुक्त राष्ट्र में एक सम्मेलन का आयोजन हुआ. सम्मेलन में भारत FDI के लिए एक स्थिर गंतव्य के रूप में उभरा है. कोरोना महामारी साल में भी एफडीआई को आकर्षित करने वाले शीर्ष पांच देशों में से भारत एक था.
त्योहारों से पहले देश में बढ़ेगी तमाम चीजों की कीमत, जानिए क्यों
कच्चे तेल की अंतरराष्ट्रीय कीमतों में इजाफे के कारण भारत की पेट्रोलियम कंपनियां भी ईंधनों के दाम लगातार बढ़ा रही हैं।
Edited by: India TV Paisa Desk
Published on: October 06, 2021 19:12 IST
Photo:PTI
Rupee plunges 54 paise to over 5mth low of 74.98 against US dollar
नई दिल्ली। त्योहार से पहले देश में कई चीजों के दाम बढ़ सकते हैं। बुधवार को 54 पैसे की बड़ी गिरावट के साथ रुपया अमेरिकी डॉलर के सामने अपने पांच महीने के निम्नतम स्तर पर पहुंच गया है। रुपये के कमजोर होने से आयात महंगा हो जाता है, जबकि निर्यातकों को इसका फायदा मिलता है। अन्य मुद्राओं की तुलना में डॉलर के मजबूत होने तथा कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों के कारण अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में बुधवार को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया 54 पैसे की गिरावट के साथ 74.98 (अस्थायी) प्रति डॉलर पर बंद हुआ।
बहुत दिनों बाद डॉलर आया रुपये के नीचे, डॉलर के मुकाबले 53 पैसे उछलकर 73.69 रुपये पर पहुंचा
डॉलर के आगे रुपया हुआ और मजबूत, डॉलर के मुकाबले 29 पैसे बढ़कर 73 रुपये पर पहुंचा
अमेरिकी डॉलर के आगे रुपया पहुंचा छह माह के निचले स्तर पर, 19 पैसे की गिरावट के बाद 74.31 पर हुआ बंद
अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपया बुधवार को सुबह 74.63 पर खुला। कारोबार के दौरान यह 74.54 के उच्च स्तर और 74.99 रुपये के निम्न स्तर के दायरे में रहा और अंत में पिछले दिन के बंद भाव के मुकाबले 54 पैसे की गिरावट के साथ 74.98 प्रति डॉलर पर बंद हुआ। रुपया मंगलवार को 74.44 रुपये प्रति डॉलर पर बंद हुआ था।
इस बीच, छह प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले अमेरिकी डॉलर की स्थिति बताने वाला डॉलर सूचकांक 0.41 प्रतिशत बढ़कर 94.36 हो गया। वैश्विक मानक ब्रेंट क्रूड का दाम 0.55 प्रतिशत घटकर 82.11 डॉलर प्रति बैरल रह गया।
इंदौर में डीजल का दाम बढ़कर रिकॉर्ड 100.49 रुपये प्रति लीटर पर पहुंचा
मध्यप्रदेश की आर्थिक राजधानी कहे जाने वाले इंदौर में बुधवार को डीजल का भाव 38 पैसे बढ़कर 100.49 रुपये प्रति लीटर के अबतक के रिकार्ड स्तर पर पहुंच गया। वहीं पेट्रोल 31 पैसे की वृद्धि के साथ 111.49 रुपये प्रति लीटर की दर पर बिका। पेट्रोलियम कारोबार से जुड़े स्थानीय प्रतिनिधियों ने यह जानकारी दी। उन्होंने बुधवार की दरों के हवाले से बताया कि शहर में पेट्रोल और डीजल के दामों में अब केवल 11 रुपये का फर्क रह गया है।
गौरतलब है कि कच्चे तेल की अंतरराष्ट्रीय कीमतों में इजाफे के कारण भारत की पेट्रोलियम कंपनियां भी ईंधनों के दाम लगातार बढ़ा रही हैं। भारत अपनी जरूरत का करीब 85 फीसद कच्चा तेल आयात करता है। आयातित कच्चे तेल को पेट्रोल और डीजल जैसे ईंधनों में बदला जाता है।
Dollar Vs Rupee: पांच पैसे गिरकर सर्वकालिक निचले स्तर पर रुपया, यह है गिरावट का कारण.
इस गिरावट का कारण मुद्रास्फीति संबंधी चिंताओं का बढ़ना तथा डॉलर का मजबूत होना है.
रुपये का आरंभिक लाभ शुक्रवार को लुप्त होता दिखा और अंतर-बैंक विदेशीमुद्रा विनिमय बाजार में यह अमेरिकी डॉलर के मुकाबले पांच पैसे टूटकर 77.55 रुपये प्रति डॉलर के सर्वकालिक निम्न स्तर पर जा पहुंचा. इस गिरावट का कारण मुद्रास्फीति संबंधी चिंताओं का बढ़ना तथा डॉलर का मजबूत होना है.बाजार सूत्रों ने कहा कि अन्य क्षेत्रीय मुद्राओं में कमजोरी और निराशाजनक आर्थिक आंकड़ों का रुपये की धारणा पर बुरा असर हुआ. हालांकि, भारतीय रिजर्व बैंक की विदेशी मुद्रा बाजार इतना तरल क्यों है? ओर से बाजार में हस्तक्षेप किये जाने से रुपये की हानि पर कुछ अंकुश लगा.अंतर-बैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपया डॉलर के मुकाबले 77.35 पर खुला और कारोबार के दौरान इसमें 77.26 से लेकर 77.55 के दायरे में घट-बढ़ हुई.कारोबार के अंत में रुपया 77.55 पर बंद हुआ जो पिछले बंद भाव (77.50 रुपये प्रति डॉलर) के मुकाबले पांच पैसे की गिरावट दर्शाता है.
साप्ताहिक आधार पर, डॉलर सूचकांक के मजबूत होने, जोखिम लेने की धारणा में सुधार और विदेशी पूंजी की सतत निकासी के बीच रुपये के मूल्य में 65 पैसे की बड़ी गिरावट आई है.एचडीएफसी सिक्योरिटीज के शोध विश्लेषक दिलीप परमार ने कहा, ‘‘सभी कारकों के बीच, नकदी पहलू अनिवार्य रूप से हालिया बाजार उतार चढ़ाव का एक प्रमुख चालक है और बाजार के भागीदार सुरक्षित निवेश विकल्प की ओर जा रहे हैं.''खाद्य और ईंधन की बढ़ती कीमतों की वजह से अप्रैल में भारत की मुद्रास्फीति लगातार सातवें महीने बढ़कर आठ साल के उच्च स्तर 7.79 प्रतिशत पर पहुंच गई, जिससे कीमतों पर काबू पाने के लिए बैंक द्वारा अगले महीने की शुरुआत में ब्याज दरें बढ़ाने की आशंका बढ़ गई है.
बंबई शेयर बाजार का 30 शेयरों पर आधारित सूचकांक, 136.69 अंक की गिरावट के साथ 52,793.62 अंक पर बंद हुआ.छह प्रमुख मुद्राओं की तुलना में डॉलर की मजबूती दर्शाने वाली डॉलर सूचकांक 0.05 प्रतिशत घटकर 104.79 रह गया.शेयर बाजार के आंकड़ों के अनुसार, विदेशी संस्थागत निवेशक, पूंजी बाजार में शुद्ध बिकवाल रहे और उन्होंने शुक्रवार को 3,780.08 करोड़ रुपये के शेयरों की बिक्री की.वैश्विक तेल मानक ब्रेंट क्रूड वायदा 1.56 प्रतिशत बढ़कर 109.13 डॉलर प्रति बैरल के भाव पर पहुंच गया.
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(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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