1929-30 ई. में आई विश्वव्यापी आर्थिक मंदी आज भी इतिहासकारों के अध्ययन की विषयवस्तु है। इसी प्रकार अर्थशास्त्र में भी 1929-30 में आई आर्थिक मंदी के कारणों का अध्ययन विश्लेषण किया जाता है। अतः उपरोक्त विश्लेषण के परिणामस्वरूप हम प्रसिद्ध अर्थशास्त्री मार्शल के शब्दों में कह सकते के साधारण व्यापार में मनुष्य का अध्ययन है। यह व्यक्तिगत और सामाजिक कार्यों के उस भाग का परीक्षण करता है, जिनका भौतिक पदार्थों की प्राप्ति एवं उनके प्रयोग के साथ अत्यंत पनिष्ठ संबंध है। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि इतिहास तथा अर्थशास्त्र में वैसी ही निकटता है जैसा कि इतिहास और राजनीति में दोनों के अध्ययन का विषय मनुष्य व्यवहार आर्थिक विश्लेषण के उद्देश्य और उद्देश्य ही है। दोनों में भिन्नता केवल इस बात की है कि अर्थशास्त्र में जहां इसके निर्णय विधायक पक्ष) का अध्ययन किया जाता है, वहीं इतिहास इसके उन्नति विधायक (Progress Moping) पहलू का अध्ययन करता है। इसके अतिरिक्त कुछ विषयों में दोनों का अध्ययन किया जाता है। उदाहरणार्थ आर्थिक इतिहास एक ऐसा विषय है जिसका अध्ययन इतिहास में तथा विशेष अध्ययन अर्थशास्त्र में किया जाता है।

ANALYSIS OF AGRICULTURAL LAND USE AND EVALUATION OF IMPACT ON ECONOMIC DEVELOPMENT IN BIJNOR DISTRICT

  • Dr. Rashmi Sharma Rawal Associate Professor, RSMPG College, Dhampur (Bijnor)
  • Naresh Kumar Geography Department, RSMPG College, Dhampur (Bijnor)

Abstract [English]

From the beginning of human life, in the gradual development of its culture, various types of enterprises, businesses, economic activities and social development and its basic needs are obtained from the land. The study of the effects on human behavior and human functioning, the distance of the market from agricultural areas, market prices and agricultural production, demand of agricultural areas as well as the capacity of production, land production, density of cropland etc. were the questions that were studied Studies the impacts on agricultural land from a human social point of view. Agriculture is the most important aspect of the rural economy. Agriculture is the backbone of the sustenance and social development of all living communities. Along with the special production method आर्थिक विश्लेषण के उद्देश्य और उद्देश्य and social ecologies of the area, the agricultural system and farming community, land ownership, availability of resources, size of holdings, agricultural land use along with social change of human environment has also seen changes in the agricultural state. Researchers by evaluating the effects of agricultural land use on social development in their area of ​​study Bijnor district to maintain the quality of land under environmental balance through scientific techniques and green agricultural development for various long term agricultural needs. There is a need and the plains formed from the fertile land by the rivers Ramganga and Kho are important for agricultural land use and crop production..

References

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Sharma Rawal, R., & Kumar, N. (2020). ANALYSIS OF AGRICULTURAL LAND USE AND EVALUATION OF IMPACT ON ECONOMIC DEVELOPMENT IN BIJNOR DISTRICT: बिजनौर जनपद में कृषि फसल वितरण का सामाजिक विकास पर प्रभाव एवं नियोजन की आवश्यकता. International Journal of Research -GRANTHAALAYAH, 8(6), 121–125. https://doi.org/10.29121/granthaalayah.v8.i6.2020.440

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वित्तीय विवरणों के विश्लेषण एवं निर्वचन का अर्थ ( Meaning of Analysis and Interpretation of Financial Statements ) क्या है ?

वित्तीय विवरण अपने आप में लक्ष्य न होकर साधन मात्र होते हैं, अतः इनसे निष्कर्ष निकालने के लिए इनका विश्लेषण करना आवश्यक है । जिस प्रकार मानव शरीर को स्वस्थ बनाये रखने के लिए डॉक्टर शरीर के सामयिक ( Periodical ) परीक्षण की सलाह देते हैं, ठीक उसी प्रकार व्यवसाय को वित्तीय दृष्टि से सुदृढ़ एवं लाभप्रद बनाये रखने के लिए वित्तीय विश्लेषण की आवश्यकता होती है । "वित्तीय विवरण जितने अधिक विस्तृत तथा भारी होते हैं, उतने ही उच्च प्रबन्ध के लिए बेकार होते हैं ।" वित्तीय विश्लेषण के माध्यम से वित्तीय विवरणों की सूचनाओं को प्रबन्ध के समक्ष संक्षेप में इस प्रकार प्रस्तुत किया जाता है, जिससे उन्हें तुरन्त निर्णय लेने में सहायता प्राप्त हो सके ।

कैनेडी तथा मैकमूलन के अनुसार, "वित्तीय विवरणों का विश्लेषण एवं निर्वचन सूचना को इस प्रकार प्रस्तुत करता है, जिससे व्यवसाय के प्रबन्धकों, विनियोगकर्ताओं तथा लेनदारों एवं अन्य वर्गों, जो व्यवसाय की वित्तीय स्तिथि व परिचालन परिणामों में रुचि रखते हैं, निर्णय में सहायक हो सकें ।"

आर्थिक विश्लेषण के उद्देश्य और उद्देश्य

As आर्थिक विश्लेषण के उद्देश्य और उद्देश्य recorded history goes, Wholesale Price Indices for India have been published from the period of the Second World War. The first Economic Adviser to the Government of India in pre-Independence India, Sir Theodore E.G. Gregory (period 1937-1946) had started the ‘quick’ आर्थिक विश्लेषण के उद्देश्य और उद्देश्य series, using the week ended August 19 1939 as base, and computed the Index from the week commencing January 10, 1942. During a spring cleaning exercise in July 2014, a few registers of pre-Independence period, containing information on wholesale price for select items and wholesale price index were discovered. The earliest register was for the year 1915 containing wholesale prices for Calcutta, and also Wholesale Price Indices. This finding now entirely changes the recorded history of wholesale price indices prepared in India. The Office of the Economic Adviser celebrates this startling discovery and the above depicts a collage of images of pages from the old Registers, pertaining to years 1915, 1937, 1939 and 1947.

इतिहास और अर्थशास्त्र - History and economics

आज के भौतिकवादी युग में मनुष्य की जिस प्रकार से भौतिक प्रगति हुई है तथा मानवीय आवश्यकताओं में निरंतर उत्तरोत्तर वृद्धि हुई है, उसके परिणामस्वरूप आर्थिक अध्ययन एक आवश्यकता बन चुका है। सामाजिक विज्ञान के सभी क्षेत्रों में अर्थशास्त्र ही एक ऐसा विज्ञान है जिसकी गणना सामाजिक कल्याण (Social Welfare) व मानवीय प्रगति के लिए अग्रिम श्रेणी में की जाती है।

वास्तविकता तो यह है कि आज की दुनिया की संपूर्ण आर्थिक सरचना (Economic Structure) केवल आर्थिक धुरी के ऊपर विद्यमान है। यदि किसी भी समस्या का गहराई से विश्लेषण किया जाए तो आज की दुनिया में प्रत्येक समस्या के जड़ में आर्थिक कारण ही विद्यमान है। चाहे वह समस्या श्रम और पूंजी के विवाद के रूप में हो, चाहे साम्राज्यवाद और स्वतंत्रता की लड़ाई हो अथवा मनुष्य के प्रादुर्भाव के साथ ही इतिहास का आरंभ हो जाता है। आदि मानव ने अपनी जीविका को चलाने के लिए जैसे जैसे साधनों के खोज में प्रगति की इसके परिणामस्वरूप इतिहास को भी गति, दिशा एवं अर्थ मिलता गया। उस समय आजीविका के साधन ही अर्थव्यवस्था के प्रमुख आधार थे। समाज की अर्थव्यवस्था ही प्रागैतिहासिक काल से लेकर ऐतिहासिक काल तक इतिहास की प्रमुख विषयवस्तु रही है।

Introduction to Microeconomics in Hindi and without Calculus

Microeconomics (व्यष्टि अर्थशास्त्र) व्यक्तियों के बीच सीमित संसाधनों के आवंटन का अध्ययन है। व्यक्ति से हमारा तात्पर्य उस इकाई से है जो स्वत निर्णय करने में सक्षम है | निर्णय लेने वाली ये इकाई एक व्यक्ति भी हो सकता है, एक परिवार भी, एक फर्म भी | आर्थिक सिद्धांत इस Assumption (धारणा) पर आधारित हैं कि सभी निर्णय लेने वाली इकाई का अच्छी तरह से परिभाषित उद्देश्य हैं; जैसे व्यक्तियों के लिए उपयोगिता अधिकतमकरण (Utility Maximization) और फर्मों के लिए लाभ अधिकतमकरण (Profit Maximization) | ये सब इकाईया आर्थिक वातावरण के प्रोत्साहन (Incentives) और बाधाओं (Constraints) को समझते हुये एक बहुत ही व्यवस्थित रूप से कार्य करते हैं।

वस्तुत: Microeconomics आर्थिक विश्लेषण के उद्देश्य और उद्देश्य एक ढांचा (Structure) प्रस्तुत करता है है जो हमलोगो को आर्थिक सेटिंग में मानवीय पहेली की मूलभूत समझ हासिल करने की क्षमता देता है। Microeconomics के मूल सिद्धांतों के इस पाठ्यक्रम में उपभोक्ता सिद्धांत, निर्माता सिद्धांत के साथ-साथ बाजार संरचनाएं शामिल हैं जिनके माध्यम से हम निर्णय लेने वाले इकाइयों, उनके व्यबहार, एवम बाजार को समझेंगे |

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