अगर आप भी करते है इंट्राडे ट्रेडिंग तो जानिए कैसे करें खुद को ऑडिट कराने की चिंता से मुक्त

इंट्राडे ट्रेडिंग करते है और आपका सालाना टर्नओवर 1 करोड़ रुपये से ज्यादा है तो जानिए कैसे नियमों के दायरे में रहकर ऑडिट से राहत मिल सकती है।

इनकम टैक्स बचाने का हो टेंशन या फिर जीएसटी के पेचींदे नियमों की हो उलझन, अटका हो रिफंड या फिर मुश्किल में फंसा हो रिटर्न। हर मुश्किल सवाल का आसान जवाब है टैक्स गुरु। जहां पर ना केवल टैक्सपेयर्स अपने टैक्स की बचत करता है बल्कि टैक्स गुरु आपको टैक्स के उलझनों को सुलझाने के गुर भी सिखाते है।

अगर आप नियमित रुप से इंट्राडे ट्रेडिंग करते है और आपका सालाना टर्नओवर 1 करोड़ रुपये से ज्यादा है ऐसे मैं तो आपको रिटर्न फाइल करना ही पड़ता है लेकिन ऑडिटिंग भी करानी पड़ती है। आज इस पर टैक्स गुरु में चर्चा होगी कि नियमों के दायरे में रहकर कैसे ऑडिट से राहत मिल सकती है। इसी पर विस्तार से चर्चा करने के लिए हमारे साथ मौजूद है टैक्स एक्सपर्ट शरद कोहली।

नियमों के दायरे में ऑडिट से राहत

शरद कोहली का कहना है कि टर्नओवर में खरीद-बिक्री के ट्रांजैक्शन शामिल किए जाते है। जैसे ही आपका सालाना टर्नओवर 1 करोड़ रुपये को पार करता है तो वैसे ही सेक्शन 44AB के तहत टैक्स ऑडिट के नियमों को साफ तौर पर करना होता है। 1 करोड़ रुपये से ज्यादा की टर्नओवर का ऑडिट जरुरी होता है। अगर 2 करोड़ रुपये से कम टर्नओवर पर सेक्शन 44AD के तहत प्रिजम्टिव स्कीम का फायदा टैक्सपेयर्स उठा सकता है।

स्टॉक ट्रेडर्स की सालाना टर्नओवर 1 करोड़ रुपय़े को पार कर रही है परंतु सालाना टर्नओवर 2 करोड़ रुपये से नीचे है या फिर ट्रेडर्स 6 फीसदी या उससे ऊपर प्रॉफिट डिक्लेयर कर रहे है तो आप ऑडिट से बच सकते है लेकिन उसके लिए ट्रेडर्स को सेक्शन 44AD के तहत प्रिजम्टिव इंट्राडे ट्रेडिंग कैसे करते हैं? स्कीम में सुगम फॉर्म भरना होगा।

वहीं अगर आप सालाना टर्नओवर 1 करोड़ रुपये को पार करते है और 6 फीसदी से कम प्रॉफिट डिक्लेयर कर रहे है तो आपको ITR III फाइल कर टैक्स ऑडिट करना होगा।

FY खत्म होने के बाद ITC एडजस्टमेंट

वित्त वर्ष खत्म होने के बाद क्या जीएसटी में इनपुट टैक्स क्रेडिट का एडजस्टमेंट किया जा सकता है? इस पर शरद कोहली का कहना है कि वित्त वर्ष समाप्ति के बाद डीलर को 6 महीने का समय दिया जाता है जिसके तहत डीलर नियमों के साथ इनपुट टैक्स क्रेडिट ( ITC) क्लेम करना संभव है। 30 सितंबर GSTR-3B फाइलिंग की आखिरी तारीख है। GSTR-9 सालाना रिटर्न फाइलिंग की डेडलाइन कई बार बढ़ी है। डेडलाइन मिस होने पर 24 फीसदी ब्याज का प्रावधान किया गया है।

Trading kise kahate hain | ट्रेडिंग कैसे करते हैं | ट्रेडिंग के प्रकार इंट्राडे ट्रेडिंग कैसे करते हैं? क्या हैं

यदि आप स्टॉक मार्किट में जरा भी दिलचस्पी रखते हैं, तो आपने ट्रेडिंग शब्द जरूर सुना होगा, क्या आप जानते हैं, ट्रेडिंग क्या होता है, Trading kise kahate hain, ट्रेडिंग क्यों की जाती है, और ट्रेडिंग कितने प्रकार की होती है। तो ट्रेडिंग के बारे में विस्तार से जानने के लिए इस पोस्ट को पूरा पढ़ें।

दरअसल जब आप स्टॉक मार्किट में अपनी शुरुवात करते हैं, तो आप के लिए कई शब्द बिलकुल नए होते हैं, जिनके बारे में आपको कोई जानकारी नहीं होती है, जैसे स्टॉक एक्सचेंज, आईपीओ, सेंसेक्स, निफ़्टी, इन्वेस्टर, रिटेलर इत्यादि, और इन्ही में से एक शब्द Trading भी है। तो चलिए जानते हैं, Trading क्या होता है।

पिछले कुछ समय में जिस गति से लोगों के बीच स्टॉक मार्किट में इन्वेस्टमेंट को लेकर चलन बड़ा है, खास करके युवा वर्ग की स्टॉक मार्किट में काफी दिलचस्पी देखि गई है, इस से पता चलता है, की आने वाले समय में भारत में नए निवेशकों की संख्या में बंपर बढ़ोतरी होने वाली है।

ट्रेडिंग क्या होता है | Trading kise kahate hain

ट्रेडिंग का हिंदी में अर्थ होता है, व्यापार, जब दो संस्थाओं के बीच आम तोर पर मुनाफे के उद्देश्य से वस्तुओं या सेवाओं का आदान प्रदान होता है, तो वह ट्रेडिंग केहलाता है। ट्रेडिंग यानि व्यापार द्वारा ही धन प्राप्त होता है, और यही समाज में प्रगति के चक्र को भी नियंत्रित करता है। ट्रेड वस्तुओं या सेवाओं के अनुसार अलग-अलग हो सकता है, लेकिन इसकी प्रक्रिया लगभग एक समान ही होती है।

अब यदि फाइनेंसियल मार्किट या स्टॉक मार्किट में ट्रेडिंग को समझें, की ट्रेडिंग क्या होती है? तो यहाँ पर आम बाजार की तरह प्रोडक्ट और सेवाओं के जगह कंपनियों के स्टॉक्स, शेयर्स, बांड्स इत्यादि को ख़रीदा व बेचा जाता है। वह व्यक्ति जो कपनियों के स्टॉक्स को मुनाफे के उद्देश्य से खरीदता व बेचता है, उसे Trader कहा जाता है, और बाजार जहाँ पर ट्रेडिंग की जाती है, वह शेयर बाजार केहलाता है।

ट्रेडिंग मुख्य रूप से छोटी अवधी में कंपनियों के स्टॉक्स को खरीद व बेच कर अधिक से अधिक मुनाफा कमाने से जुड़ा है, इसमें ट्रेडर द्वारा बाजार के उतार-चढ़ाव का लाभ लिया जाता है। बाजार से मुनाफा क्या और कितना होगा यह बाजार के मूड, ट्रेडर की तकनीक और उसकी एनालिसिस स्किल पर निर्भर करता है। भारत में मुख्य दो स्टॉक एक्सचेंज हैं, इंट्राडे ट्रेडिंग कैसे करते हैं? BSE और NSE इन दोनों में ट्रेडिंग का समय सुबह 9:15 AM से शाम 3:30 PM Monday से Friday तक होता है, इसके बाद मार्केट बंद हो जाता है।

ट्रेडिंग करने के लिए आपके पास एक डीमैट अकाउंट होना अनिवार्य है, जिसके लिए में पर्सनली Grow App को दूसरे प्लेटफॉर्म्स की तुलना में बेहतर मानता हूँ, क्योंकि यह एक User friendly एप्प है, जिसका नेविगेशन काफी आसान है। नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक कर आप Grow App को Download, Install व Register कर सकते हैं।

स्टॉक मार्किट में ट्रेडिंग के प्रकार | Types of Stock market Trading in Hindi

स्टॉक मार्किट ट्रेडिंग के मुख्य तीन प्रकार हैं।

Intraday Trading :-

इंट्राडे ट्रेडिंग को डे ट्रेडिंग भी कहा जाता है, जब कोई निवेशक एक ही दिन के भीतर कोई स्टॉक्स खरीदता और बेचता है, तो वह Intraday trading केहलाता है। इसका अर्थ हुवा की यदि आपने आज के दिन में किसी कंपनी के स्टॉक्स ख़रीदे हैं, तो मार्किट बंद होने तक आज ही आपको उन स्टॉक्स को बेचना होगा। इस प्रकार की ट्रेडिंग अनुभवी ट्रेडर्स के द्वारा की जाती है, क्योंकि इसमें रिस्क अधिक होता है, और तेजी से निर्णय लेने पड़ते हैं।

Position Trading :-

पोजीशन ट्रेडिंग में इंट्राडे की तुलना में निवेशक को ट्रेडिंग के लिए अधिक समय मिल जाता है, क्योंकि यह Buy और Hold रणनीति पर निर्भर करता है। इसमें निवेशक लंबे समय तक के लिए स्टॉक्स को होल्ड रख सकता है, जब तक की स्टॉक्स के दाम में वृद्धि ना हो जाए, यानि इसमें निवेशक हफ़्तों और महीनों तक स्टॉक्स को होल्ड रख सकता है।

Scalping Trading :-

स्काल्पिंग ट्रेडिंग का सबसे शार्ट टर्म फॉर्म है, जिसमे एक ही दिन के भीतर ट्रेडर कई ट्रेड कर लेते हैं, जिनकी संख्या 10 से कई 100 ट्रेड तक हो सकती है। इस ट्रेडिंग रणनीति में ट्रेडर का उद्देश्य स्टॉक की कीमतों में होने वाले छोटे बदलावों से मुनाफा कमाना होता है, क्योंकि उनके द्वारा ऐसा माना जाता है, की स्टॉक की कीमतों में होने वाले छोटे बदलावों का अनुमान लगाना बढे बदलावों की तुलना में ज्यादा आसान होता है। स्कल्पिंग ट्रेडिंग करने वाले ट्रेडर्स को Scalper कहा जाता है।

Swing Trading :-

स्कल्पिंग से उलट स्विंग ट्रेडिंग में ट्रेडर्स अपनी पोजीशन को दिनों और हफ़्तों तक बनाए रख सकते हैं। इसमें मुख्य रूप से ट्रेडर ट्रेंड को पेहचान कर अपना निर्णय लेते हैं, और ट्रेंड की पेहचान के लिए Technical indicators का उपयोग किया जाता है, जिसके द्वारा अनुमान लगाया जाता है, की कोई स्टॉक ऊपर जाएगा या नीचे और उसी अनुसारी स्टॉक्स की buying और selling की जाती है।

अंतिम शब्द

ट्रेडिंग में जिस प्रकार युवाओं की दिलचस्पी बढ़ती जा रही है, अधिक से अधिक लोग प्रतिदिन ट्रेडिंग में अपने सफर की शुरुवात कर रहे हैं, ऐसे में स्टॉक मार्किट में उन सभी नए Users के लिए यह पोस्ट मददगार साबित हो सकती है। हमें उम्मीद है, इस पोस्ट को पढ़ने के बाद आप जान गए होंगे Trading kise kahate hain और यह कितने प्रकार इंट्राडे ट्रेडिंग कैसे करते हैं? की होती है। इस पोस्ट से जुड़े यदि आपके कोई सवाल या सुझाव हैं, तो आप हमें कमेंट द्वारा नीचे बता सकते हैं।

क्या आप शेयर ट्रेडिंग के बारे में ये बातें जानते हैं?

आम तौर पर जब शेयर का भाव कम होता है या बाजार में कमजोरी होती है, तब शेयर खरीदने का सबसे अच्छा समय माना जाता है.

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आपको यह ध्यान में रखना होगा कि शेयरों में निवेश से काफी जोखिम जुड़ा होता है. अगर आप खुद कंपनियों के नतीजे समझने, उसके शेयरों का मूल्यांकन करने और बाजार की चाल समझ सकते सकते हैं तभी आपको शेयरों में सीधे निवेश करना चाहिए.

किसी कंपनी के शेयर में निवेश करने से पहले उसके कारोबार, शेयरों की सही कीमत (मूल्यांकन) और उसके कारोबार की संभावनाओं को जानना जरूरी है. शेयर बाजार में शेयरों के भाव स्थिर नहीं रहते. आम तौर पर जब शेयर का भाव कम होता है या बाजार में कमजोरी पर शेयर खरीदने के लिए सबसे अच्छा समय माना जाता है.

आपने जो शेयर खरीदा है, जब उसका दाम बढ़ जाए तो उसे आप बेच सकते हैं. शेयर मार्केट में ट्रेडिंग की शुरुआत बहुत कम रकम से की जा सकती है.

शेयर ट्रेडिंग कितने तरह के होते हैं?

1. इंट्रा-डे ट्रेडिंग (Intra Day Trading)
इंट्रा-डे ट्रेडिंग में एक ही दिन में शेयर खरीद कर उसे बेच दिया जाता है. मार्केट खुलने के बाद आप शेयर खरीदते हैं और मार्केट बंद होने से पहले उसे बेच देते हैं.
इसे डे-ट्रेडिंग, MIS (Margin Intra day Square off) आदि भी कहते हैं.

Intra Day ट्रेडिंग के लिए ब्रोकर आपके ट्रेडिंग अकाउंट में मौजूद रकम का 20 गुना आप को मुहैया कराता है. इसका मतलब यह है कि आप उधार रकम लेकर शेयर खरीद सकते हैं और उसी दिन बेच कर उसे वापस कर सकते हैं. यह वास्तव में वैसे निवेशकों के लिए जिन्हें बाजार की बहुत ज्यादा समझ होती है.

2. स्कैल्पर ट्रेडिंग ( Scalper Trading)
यह शेयर ट्रेडिंग का ऐसा तरीका है, जिसमें शेयर को खरीदने के 5-10 मिनट के अंदर ही बेच दिया जाता है. स्कैल्पर ट्रेडिंग किसी कानून के आने या आर्थिक जगत की किसी बड़ी खबर आने पर की जाती है.

शेयर मार्केट के पुराने दिग्गज स्कैल्पर ट्रेडिंग करते हैं. इसमें जोखिम सबसे ज्यादा होता है. स्कैल्पर ट्रेडिंग के लिए ब्रोकर कंपनियां मार्जिन मुहैया कराती हैं.

3. स्विंग ट्रेडिंग (Swing Trading) या शार्ट टर्म ट्रेडिंग
स्विंग ट्रेडिंग थोड़े लंबे समय के लिए किया जाता है. इसमें आम तौर पर शेयर खरीदने के बाद उसकी डीमैट अकाउंट में डिलीवरी ले ली जाती है. स्विंग ट्रेडिंग के लिए ब्रोकर कोई मार्जिन मुहैया नहीं कराता है.

अगर आप अपने निवेश के लक्ष्य के हिसाब से 5-10 % लाभ की उम्मीद पर शेयर बाजार में ट्रेडिंग कर रहे है, तो स्विंग ट्रेडिंग से आप पैसे कमा सकते हैं.

4. LONG TERM ट्रेडिंग
जब आप किसी शेयर को खरीद कर लंबी अवधि के लिए रख लेते हैं तो उसे Long term ट्रेडिंग कहते हैं. स्टॉक मार्केट में ट्रेड करने के बाद अगर आप एक निवेशक के रूप में किसी शेयर में 6 महीने से लेकर कुछ साल तक बने रहें तो यह लॉन्ग टर्म ट्रेडिंग है.

अगर आप किसी कंपनी के शेयर को एक, तीन या पांच साल या इससे ज्यादा अवधि के लिए खरीदते सकते हैं. कंपनी के कारोबार में अगर तेजी से वृद्धि हो तो लॉन्ग टर्म ट्रेडिंग में आप बहुत अच्छा लाभ कमा सकते हैं.

आप जिन बड़े निवेशकों के बारे में सुनते हैं वे सभी लॉन्ग टर्म ट्रेडिंग से ही मुनाफा कमाते हैं. इनमें राकेश झुनझुनवाला, पोरिन्जू वेलियथ, डॉली खन्ना जैसे नाम शामिल हैं.

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इंट्रा-डे ट्रेडिंग का मतलब जलती आग पर चलना

इंटरा डे ट्रेडर के पास समय का आभाव या समय सीमित होना (What is Intrasday Trading)

intra Day Trading Strategies For Beginners in hindi

इंट्रा डे ट्रेडिंग में ट्रेडर के सामने समस्या समय की होती है क्योंकि ट्रेडर को सौदा उसी दिन खरीदकर उसी दिन बेचना होता है जैसे की अपने कोई शेयर 10 रुपए में खरीदा और एक घंटे बाद कोई ऐसी खबर आई, जिससे बाजार में मुनाफावसूली शुरू हुई और आपका शेयर नीचे की ओर लुढ़कने लगा। मान लीजिये दोपहर 1 बजे तक वो शेयर 8 रुपए तक गिर गया और मार्किट बदन होता है 3:15PM पर बंद हो जाता है इसलिए आपको वो सौदा इससे पहले-2 आपको बेचना ही पड़ेगा क्योंकि कैरी फॉरवर्ड तो आप कर नही सकते और कोई भी मार्किट हो एक बार डाउन ट्रेंड चालू हो गया तो समझो की उसके ट्रेंड में फेरबदल होना काफी मुस्किल होता है (किसी खास इंट्राडे ट्रेडिंग कैसे करते हैं? परिस्थिति को छोडकर) क्योंकि इस बात का किसी को पत्ता नही होता की आपका शेयर कब अपट्रेंड में ट्रेड करे। इसलिए काफी ट्रेडर इंट्रा डे में लोस बुक करते हैं और अपनी पूंजी गवां बैठते हैं।

लॉन्ग टर्म की तरह इंटरा डे में एंट्री-एक्जिट प्वाइंट रामबाण की तरह (How to Put Slop Loss Exit Point In Intraday Trading)

इंट्रा डे ट्रेडिंग करते समय दो बातों का खास खयाल रखना चाहिए- पहला- एंट्री और एक्जिट प्वाइंट निश्चित करने के बाद सौदा कीजिए। उसे बिलकुल मत बदलिए। एंट्री और एक्जिट प्वाइंट को अनुमान के आधार पर नहीं बल्कि विश्लेषण के आधार पर निश्चित कीजिए। दूसरा- इंट्रा डे ट्रेडिंग करते समय हमेशा आपकी उंगली स्टॉप लॉस के बटन पर होनी चाहिए। जैसे ही आपने सौदा किया, फौरन स्टॉप लॉस सेट कर दीजिए। क्योंकि कई बार ऐसा होता है कि आपने स्टॉप इंट्राडे ट्रेडिंग कैसे करते हैं? लॉस लगाने में सुस्ती दिखाई और कुछ ही मिनट के अंदर बाजार ने यू टर्न ले लिया। और जितनी देर में आप चाय पीकर वापस लौटे तो पता चला कि शेयर की कीमत आपके स्टॉप लॉस से भी दो फीसदी नीचे चली गई। ऐसी सूरत बड़ी खतरनाक होती है क्योंकि मुनाफा तो दूर, आप मनचाहे स्टॉप लॉस के प्वाइंट पर भी सौदा नहीं निपटा सकते हैं।

इंट्रा-डे में जोखिम क्यों ज्यादा होता है (Why Intraday Trading is Risky)

यहां कहने का मतलब ये बिलकुल नहीं है कि इंट्रा डे ट्रेडिंग नहीं करना चाहिए। लेकिन सोते जागते हमेशा याद रखिए इंट्रा डे सबसे मुश्किल और सबसे जोखिम भरी ट्रेडिंग है। विडंबना है कि इसमें शामिल ट्रेडर्स का एक बड़ा तबका इंट्रा डे ट्रेडिंग की तकनीक और जानकारी से वंचित होता है। इंट्रा डे लुभावना दिखता है। इसलिए नौसिखिए और अनाड़ी ट्रेडर्स बिना जानकारी के इसमें कूद पड़ते हैं। वे इसे वन-डे लॉटरी की तरह समझते हैं। जब तक अक्ल खुलती है तब तक वे अपनी पूंजी का बड़ा हिस्सा गंवा चुके होते हैं। इसलिए मेरी सलाह है कि नए निवेशकों को शुरूआत में इंट्रा डे ट्रेड नहीं करना चाहिए। शुरूआत लॉन्ग टर्म से कीजिए। फिर शॉर्ट टर्म ट्रेडिंग और जब आप ट्रेडिंग के उस्ताद बन जाएं तभी इंट्रा डे के मैदान में आएं।

क्यों न करें नये निवेशक इंट्रा डे ट्रेडिंग? (What do or don;t when trading intraday trding)

नए निवेशकों को शुरूआत में इंट्रा-डे ट्रेड नहीं करना चाहिए। शुरूआत लॉन्ग टर्म से कीजिए। फिर शॉर्ट टर्म ट्रेडिंग और जब आप ट्रेडिंग के उस्ताद बन जाएं, तभी इंट्रा-डे के मैदान में आएं। तो ट्रेडिंग में हाथ जलने की संभावना कम रहेगी। इंट्रा-डे ट्रेडिंग करते समय दो बातों का खास खयाल रखना चाहिए- पहला, एंट्री व एक्जिट प्वाइंट निश्चित करने के बाद ही सौदा कीजिए और दूसरा, ट्रेडिंग के समय हमेशा उंगली स्टॉप लॉस तय करने के लिए बटन पर हो और एक इंट्राडे ट्रेडिंग कैसे करते हैं? अहम महत्वपूर्ण बात कभी भी ओवर ट्रेडिंग न करे। मान लिजिय आपके पास 100 रूपये हैं और आप आपको लगता है की आप इंटर डे ट्रेडिंग कर सकते हो तो पूरी प्लानिंग के साथ करे कितने टाइम लिमिट लेना है कितने प्रतिशत स्टॉप लोस निर्धारित करना।

What is Intraday Trading in Hindi | इंट्राडे ट्रेडिंग क्या है

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दोस्तों यदि आप इंट्राडे ट्रेडिंग करना चाहते हैं और शेयर मार्केट से पैसा कमाना चाहते हैं, लेकिन आप intraday trading के बारे में कुछ भी नहीं जानते तो आप एक सही ब्लॉग पर आए हैं. क्योंकि आज हम आपको इस पोस्ट के माध्यम से बताने जा रहे हैं की इंट्राडे ट्रेडिंग कैसे करते हैं. इंट्राडे ट्रेडिंग करते समय हमें किन बातों का ध्यान रखना चाहिए.

Table of Contents

इंट्राडे ट्रेडिंग का क्या मतलब है (Intraday Trading Meaning in Hindi)

इंट्राडे ट्रेडिंग में एक ही दिन के अंदर स्टॉक को खरीदना और बेचना होता है. यहां पर कोई भी स्टॉक को खरीदने के लिए स्टॉक के इंडेक्स को देखना होता है. क्योंकि एक अच्छा मुनाफा कमाने के लिए स्टॉक का उतार–चढ़ाव किस प्रकार से चल रहा है. उस स्टॉक पर नजर बनाए रखना होता है।

अगर आप intraday trading करना चाहते हैं. यह फिर शेयर मार्केट से कोई भी शेयर खरीदना चाहते हैं, तो सबसे पहले आप के पास एक ट्रेडिंग अकाउंट और डिमैट अकाउंट होना चाहिए. अब आपके मन में सवाल उठ रहा होगा कि अकाउंट कैस open कराए.

डिमैट और ट्रेडिंग अकाउंट कैसे खुलवाए (How to open Demat and Trading Account)

मार्केट में कई ऐसे ब्रोकर है जहां पर आप घर बैठे ऑनलाइन के माध्यम से अपना डिमैट और ट्रेडिंग अकाउंट open करा सकते हैं। उदहारण के लिए आपको कुछ ब्रोकर के नाम बता दें AngelOne, Zerodha, Groww, Dhan जैसे कई अन्न ब्रोकर भी हैं. इन सभी ब्रोकर के Android और iOS App भी स्टोर पर मौजूद हैं. अकाउंट open कराने के बाद आप शेयर मार्केट में शेयर को खरीद या बेच सकते हैं.

जब आप एक दिन के अंदर ही शेयर को खरीद कर बेच देते हैं, तो उसे Intraday Trading कहते हैं. इंट्राडे ट्रेडिंग के कुछ फायदे और नुकसान भी हैं, तो चलिए जान लेते हैं. क्योंकि इन सभी बातों को जानने के बाद हमें इंट्राडे ट्रेडिंग अच्छे से समझ आ जायेगा.

इंट्राडे ट्रेडिंग में Margin मिलता है मार्जिन का मतलब है कि जो शेयर 500 rupee का है वो हमें 50 rupee में मिलता है.

इंट्राडे ट्रेडिंग के फायदे और नुकसान Advantage and disadvantage of Intraday Trading

इंट्राडे ट्रेडिंग के फायदे (Advantage of Intraday Trading) :

  • इंट्राडे ट्रेडिंग में आप एक दिन के अंदर पैसे कमा सकते हैं.
  • इंट्राडे ट्रेडिंग करने के लिए अधिक पैसे की आवश्यकता नहीं होती.
  • इंट्राडे ट्रेडिंग करने के लिए टेक्निकल इंट्राडे ट्रेडिंग कैसे करते हैं? एनालिसिस या फंडामेंटल एनालिसिस की ज्यादा आवश्यकता नहीं होती.
  • इंट्राडे ट्रेडिंग करने के लिए कोई डिग्री की आवश्यकता नहीं है.
  • इंट्राडे ट्रेडिंग में आपका प्रॉफिट हो या लॉस तुरंत पता चल जाता है. इसके लिए आपको ज्यादा इंतजार करने की जरूरत नहीं होती.
  • इंट्राडे ट्रेडिंग आप अपने जॉब या फिर बिजनेस के साथ पार्ट टाइम में कर सकते हैं.
  • इंट्राडे ट्रेडिंग कर के एक अच्छा इनकम बना सकते हैं.

इंट्राडे ट्रेडिंग के नुकसान (Disadvantage of Intraday Trading) :

  • इंट्राडे ट्रेडिंग में यदि स्टॉप लॉस का प्रयोग नहीं करते तो भारी नुकसान हो सकता है.
  • इंट्राडे में यदि जुआ और सट्टा समझ कर पैसे लगाते हैं, तो आपके पैसे डूब जाएंगे.
  • इंट्राडे ट्रेडिंग में पैसे कमाने के लिए धैर्य बनाए रखना बहुत ही अनिवार्य है. क्योंकि जल्दबाजी में शेयर को खरीदना और बेचना हमेशा नुकसान ही होता है.
  • इंट्राडे ट्रेडिंग में जरा सी चूक पर आपका कैपिटल डूब भी सकता है.
  • इंट्राडे ट्रेडिंग में अधिकांश ट्रेडर ज्यादा कमाने के चक्कर में मुनाफा होते हुए भी अपना नुकसान कर लेते हैं.
  • इंट्राडे में बहुत ही कम समय में आपको फैसले लेने पड़ते हैं. क्योंकि छोटी सी चूक पर आपको आर्थिक नुकसान भी हो सकता है.

इंट्राडे ट्रेडिंग करने के लिए कुछ ध्यान देने योग्य बातें :

  • इंट्राडे ट्रेडिंग करने के लिए Patience जरूर रखें.
  • इंट्राडे ट्रेडिंग करने के लिए Indicators का प्रयोग करें.
  • इंट्राडे ट्रेडिंग करने के लिए Risk Management को पढ़ें
  • इंट्राडे ट्रेडिंग करने के लिए कभी भी अपना पूरा कैपिटल ना लगाएं.
  • शेयर मार्केट से जुड़े अपडेट लेते रहें.
  • लालच पर अपने नियंत्रित करें.

इंट्राडे ट्रेडिंग के लिए कुछ टिप्स (Intraday Trading Tips in Hindi)

इंट्राडे ट्रेडिंग में शेयर को जिस दिन खरीदते हैं, उसी दिन शेयर को बेचना भी होता हैं. मान लीजिए शेयर बाजार खुलने पर अपने कोई शेयर खरीदा कुछ समय बाद देखा कि आपको शेयर में मुनाफा मिल रहा है. लेकिन आपने शेयर को बेचा नहीं ऐसे में शेयर बाजार बंद होते ही अपने आप शेयर चाहे मुनाफे की ओर या फिर घाटे में चल रहा हो. शेयर ऑटोमैटिक बिक जायेगा। जिसे ट्रेडिंग के भाषा में auto squareoff कहते हैं।

इसमें एक बात ध्यान रखें कि auto squareoff होने पर आपका ब्रोकर पेनाल्टी चार्ज भी काटेगा. जबकि डिलवरी ट्रेडिंग में शेयर को जब तक चाहे ट्रेडर होल्ड करके रख सकता हैं।

FAQ’s

Q. इंट्राडे ट्रेडिंग करने के लिए समय क्या है?

Ans. इंट्राडे ट्रेडिंग 9:00 AM से 3:30 PM के बीच में कर सकते हैं. शनिवार और रविवार शेयर मार्केट बंद रहता है।

Q. इंट्राडे ट्रेडिंग करने के लिए कितना पैसा चाहिए?

Ans. इंट्राडे ट्रेडिंग आप 5000 से शुरू कर सकते हैं.

Q. इंट्राडे ट्रेडिंग कैसे किया जाता है?

Ans. इंट्राडे ट्रेडिंग करने के लिए आपके पास एक डिमैट अकाउंट और ट्रेडिंग अकाउंट होना चाहिए. इसे आप घर बैठे अपने फोन या कंप्यूटर से ट्रेडिंग कर सकते हैं।

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