तस्वीर का इस्तेमाल सिर्फ प्रस्तुतिकरण के लिए किया गया है। (फाइल फोटो)

US-Iran dispute: टेंशन में क्यों है भारत, जानिए कितना होगा नुकसान?

US-Iran dispute

नई दिल्ली। अमरीका और ईरान विवाद ( US-Iran dispute ) अपने चरम पर है। भले ही अमरीका ( America ) ने आदेश के बाद कोई हमला ना किया हो, लेकिन स्थिति काफी नाजुक बनी हुई है। ऐसे में भारत के लिए काफी परेशानियां खड़ी हो सकती है। अमरीका और ईरान के बीच युद्घ भारत की योजनाओं और विकास में बाधा पहुंचा सकता है। युद्घ की स्थिति बनती है तो कच्चे तेल की कीमत ( crude oil Price ) में तेजी आएगी। जिससे भारत के कच्चे तेल का आयात बिल ( Crude oil import bill ) बढ़ जाएगा। विदेशी खजाने में कमी आएगी और रुपए की स्थिति कमजोरी होगी। जिसका असर भारत की कल्याणकारी योजनाओं पर पड़ेगा। हाल ही में कच्चे तेल की कीमत में 5 फीसदी की तेजी देखने को मिली थी। जिसके बाद भारत ने सऊदी अरब ( Saudi Arabia ) से बात कर कच्चे तेल की कीमतों स्थिर रखने को कहा था।

दो दिन में टाटा मोटर्स के शेयर में 25% उछाल की क्या है वजह?

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मार्च के निचले स्तरों से विदेशी मुद्रा खतरनाक क्यों है इस शेयर की कीमत करीब तीन गुना हो चुकी है. दिग्गज निवेशक राकेश झुनझुनवाला ने भी सितंबर तिमाही में कंपनी में निवेश किया था.

दरअसल, तीसरी तिमाही में जगुआर लैंड रोवर (जेएलआर) के बढ़िया नतीजों और टेस्ला के साथ संभावित पार्टनरशिप की चर्चा ने इस शेयर में नई जान फूंक दी है. दिग्गज निवेशक राकेश झुनझुनवाला ने भी सितंबर तिमाही में कंपनी में निवेश किया था.

कंपनी ने कहा है कि दिसंबर तिमाही में जेएलआर ने 1,28,469 वाहनों की बिक्री की, जो सितंबर तिमाही के 1,13,569 वाहनों की तुलना में 13.1 फीसदी अधिक है. हालांकि, बीते साल की तुलना में इसकी बिक्री नौ फीसदी घटी है.

डालर बनाम रुपया

डालर बनाम रुपया

तस्वीर का इस्तेमाल सिर्फ प्रस्तुतिकरण के लिए किया गया है। (फाइल फोटो)

रुपए के उल्लेखनीय लचीलेपन के बावजूद इसकी कीमत में तेजी से गिरावट आई है। मगर पिछली बार की तुलना में अपेक्षाकृत यह गिरावट कम रही है। विभिन्न घरेलू और वैश्विक कारकों के कारण अमेरिकी डालर के मुकाबले भारतीय रुपए में लगभग सात फीसद की गिरावट आई है, विशेष रूप से, व्यापक चालू खाता घाटा, भू-राजनीतिक तनाव के परिणामस्वरूप लगातार जोखिम और विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों द्वारा निरंतर बिकवाली इस गिरावट का कारण है।

यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि डालर दुनिया की सभी मुद्राओं के मुकाबले मजबूत हुआ है। जून 2022 में अमेरिका में मुद्रास्फीति 9.1 प्रतिशत के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गई। इसने अमेरिकी फेडरल विदेशी मुद्रा खतरनाक क्यों है रिजर्व की मौद्रिक नीति में उलटफेर को प्रेरित किया। अमेरिका में मुद्रास्फीति में बेरोकटोक वृद्धि के कारण आने वाले कुछ महीनों तक अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा विदेशी मुद्रा खतरनाक क्यों है ब्याज दरों में वृद्धि जारी रखने की उम्मीद विदेशी मुद्रा खतरनाक क्यों है है। आज डालर विश्व की अन्य मुद्राओं के मुकाबले पिछले बीस साल के सारे रिकार्ड तोड़ चुका है।

जरुरी जानकारी | रुपया 65 पैसे लुढ़ककर लगभग एक माह के निचले स्तर 82.50 प्रति डॉलर पर

जरुरी जानकारी | रुपया 65 पैसे लुढ़ककर लगभग एक माह के निचले स्तर 82.50 प्रति डॉलर पर

मुंबई, छह दिसंबर अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में अमेरिकी मुद्रा के मुकाबले रुपया 65 पैसे लुढ़ककर लगभग एक माह के निचले स्तर 82.50 प्रति डॉलर पर बंद हुआ। विदेशी बाजारों में कच्चा तेल कीमतों में तेजी आने और घरेलू शेयर बाजार में भारी बिकवाली दबाव से रुपये में गिरावट आई।

बाजार सूत्रों ने कहा कि इसके अलावा रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति की घोषणा से पहले निवेशकों के बीच विदेशी पूंजी की निकासी को लेकर चिंता रही।

अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपया 81.94 पर कमजोर खुला और कारोबार के अंत में यह 65 पैसे औंधे मुंह लुढ़ककर 81.50 रुपये प्रति डॉलर पर बंद हुआ। कारोबार के दौरान रुपये ने 81.94 के उच्चस्तर और 82.63 के निचले स्तर को छुआ।

Bangladesh Financial Crisis: श्रीलंका के बाद अब कंगाली की कगार पर भारत का ये पड़ोसी देश, IMF से मांगा कर्ज

Bangladesh Financial Crisis: बांग्लादेश का करंट अकाउंट Current account deficit वित्त वर्ष 2021-22 के 11 महीनों में छह गुना से विदेशी मुद्रा खतरनाक क्यों है विदेशी मुद्रा खतरनाक क्यों है ज्यादा बढ़कर 17.2 अरब डॉलर पर आ गया। बांग्लादेश के विदेशी मुद्रा भंडार में भी जबरदस्त गिरावट देखने को मिली है। 20 जुलाई तक बांग्लादेश का विदेशी मुद्रा भंडार 39.7 अरब डॉलर है।

नई दिल्ली। इन दिनों मुफ्त वाले रेवड़ी कल्चर और उसकी वजह से अर्थव्यवस्था को होने वाले नुकसान की पूरे देश में चर्चा है।कुछ लोग इस चीज को जायज ठहरा रहे हैं जबकि कईयों का मानना है कि ये देश या प्रदेश की अर्थव्यवस्था के लिए बहुत खतरनाक है। हम देख रहे हैं कि किस तरह हिंद महासागर वाले भारत के पड़ोसी श्रीलंका कंगाल हो चुका है और वहां कैसी भयावह स्थिति बीते दिनों देखी गई। विदेशों से लिया गया अंधाधुंध कर्ज और लोकलुभावन मुफ्त वाली योजनाओं को अमलीजामा पहनाना, सरकारी खजाना खाली होने के ये दो सबसे बड़े कारण होते हैं। श्रीलंका की हालत तो आप सभी ने देखी और फटेहाल पाकिस्तान के बारे में भी आप जानते ही हैं। लेकिन इन दोनों के बाद अब भारत का एक और पड़ोसी आर्थिक बदहाली के दलदल में धंसता जा रहा है, इस पड़ोसी का नाम है बांग्लादेश। जी हां, बांग्लादेश इस कदर आर्थिक तंगी से परेशान है कि उसने अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष यानि IMF से 4.5 अरब डॉलर का कर्ज मांगा है।

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